राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक स्व. दत्तोपंत ठेंगड़ी की जयन्ती के पावन अवसर पर उनकी पू. माताजी जानकीबाई ठेंगड़ी जी का पुण्य स्मरण हो रहा है। उन्हें मुमुक्षु कहा गया है। उनकी माताजी धार्मिक प्रवृत्ति की थीं। ऐसा कहा जाता है कि जब वे ध्यान में बैठती थीं तो उन्हें भूत-भविष्य के दर्शन होते थे। भगवान दत्तात्रेय उनके आराध्य थे। उनकी अनुकम्पा से उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई, ऐसी उनकी मान्यता थी। अतः बालक को अपने आराध्य के चरणों में अर्पित करते हुए उन्होंने नवजात शिशु का नाम दत्तात्रेय रखा। यही दत्तात्रेय बड़े होकर दत्तात्रेय बापूराव ठेंगड़ी उपाख्य दत्तोपंत ठेंगड़ी नाम से विख्यात हुए।
माता जानकीबाई आध्यात्मिक विभूति तो थीं, साथ ही परम राष्ट्रभक्त भी थीं। जब दत्तोपंत जी पांचवीं कक्षा के विद्यार्थी थे, तभी उन्हें उनकी माताजी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ने के लिए प्रेरित किया। बी.ए., एल.एल.बी. की परीक्षा उत्तीर्ण कर लेने के पश्चात् दत्तोपंत जी संघ के प्रचारक बने। इसके पीछे भी उनकी माताजी का ही योगदान रहा। ठेंगड़ी जी प्रचारक बनें, यह बात उनके पिताजी श्री बापूराव ठेंगड़ी को पसंद नहीं थी। बाद में उनकी माताजी ने तर्कसंगत लंबे संवाद के उपरान्त बापूराव जी को भी सहमत किया। इस प्रकार 22 मार्च, 1942 के दिन संघ तथा राष्ट्र को दत्तोपंत जी के रूप में एक महान प्रचारक मिला।
अखंड साधक जैसा जानकीबाई जी का जीवन वन्दनीय है, प्रकाशपुंज है। इतिहास में जीजाबाई समान अतुलनीय मातृशक्ति का गौरवशाली परिचय मिलता है, जिन्होंने अपनी सन्तान को दिव्य गुणों से युक्त किया। माता जानकीबाई ने अपने ज्येष्ठ पुत्र (दत्तोपंत) को शिक्षित-दीक्षित करके प.पू. श्री गुरुजी को सौंप दिया। श्रीगुरुजी ने उन्हें संस्कारित करके संघ प्रचारक के रूप में राष्ट्र नवोत्थान के महान कार्य के साथ जोड़ दिया। अखंड राष्ट्र आराधक और दृढ़व्रती कर्मयोगी बना दिया। जानकीबाई जी की मूक साधना और राष्ट्र भावना के अन्तर्गत सर्वश्रेष्ठ त्याग का मूल्यांकन इतिहास अवश्य करेगा, जहां उनका विशिष्ट स्थान निश्चित है।
अभाविप के निर्माण में योगदान
Esta historia es de la edición November 13, 2022 de Panchjanya.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor ? Conectar
Esta historia es de la edición November 13, 2022 de Panchjanya.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor? Conectar
शिक्षा, स्वावलंबन और संस्कार की सरिता
रुद्रपुर स्थित दूधिया बाबा कन्या छात्रावास में छात्राओं को निःशुल्क शिक्षा के साथ-साथ संस्कार और स्वावलंबन का पाठ पढ़ाया जा रहा। इस अनूठे छात्रावास के कार्यों से अनेक लोग प्रेरणा प्राप्त कर रहे
शिवाजी पर वामंपथी श्रद्धा!!
वामपंथियों ने छत्रपति शिवाजी की जयंती पर भाग्यनगर में उनका पोस्टर लगाया, तो दिल्ली के जेएनयू में इन लोगों ने शिवाजी के चित्र को फाड़कर फेंका दिया। इस दोहरे चरित्र के संकेत क्या हैं !
कांग्रेस के फैसले, मर्जी परिवार की
कांग्रेस में मनोनीत लोगों द्वारा 'मनोनीत' फैसले लिये जा रहे हैं। किसी उल्लेखनीय चुनावी जीत के बिना कांग्रेस स्वयं को विपक्षी एकता की धुरी मानने की जिद पर अड़ी है जो अन्य को स्वीकार्य नहीं हैं। अधिवेशन में पारित प्रस्ताव बताते हैं कि पार्टी के पास नए विचार के नाम पर विफलताओं का जिम्मा लेने के लिए खड़गे
फूट ही गया 'ईमानदारी' का गुब्बारा
अरविंद केजरीवाल सरकार की 'कट्टर ईमानदारी' का ढोल फट चुका है। उनकी कैबिनेट के 6 में से दो मंत्री सलाखों के पीछे। शराब घोटाले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की जांच की आंच कभी भी केजरीवाल तक पहुंच सकती है
होली का रंग तो बनारस में जमता था
होली के मौके पर होली गायन की बात न चले यह मुमकिन नहीं। जब भी आपको होली, कजरी, चैती याद आएंगी, पहली आवाज जो दिमाग में उभरती है उसका नाम है- गिरिजा देवी। वे भारतीय संगीत के उन नक्षत्रों में से हैं जिनसे हिन्दुस्थान की सुबहें आबाद और रातें गुलजार रही हैं। उनका ठेठ बनारसी अंदाज। सीधी, खरी और सधुक्कड़ी बातें, लेकिन आवाज में लोच और मिठास। आज वे हमारे बीच नहीं हैं। अब उनके शिष्यों की कतार हिन्दुस्थानी संगीत की मशाल संभाल रही है। गिरिजा देवी से 2015 में पाञ्चजन्य ने होली के अवसर पर लंबी वार्ता की थी। इस होली पर प्रस्तुत है उस वार्ता के खास अंश
आनंद का उत्कर्ष फाल्गुन
भक्त और भगवान का एक रंग हो जाना चरम परिणति माना जाता है और इसी चरम परिणति की याद दिलाने प्रतिवर्ष आता है धरती का प्रिय पाहुन फाल्गुन। इसीलिए वसंत माधव है। राधा तत्व वह मृदु सलिला है जो चिरंतन है, प्रवाहमान है
नागालैंड की जीत और एक मजबूत भाजपा
नेफ्यू रियो 5वीं बार नागालैंड के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं।
सूर्योदय की धरती पर फिर खिला कमल
त्रिपुरा और नागालैंड की जनता ने शांति, विकास और सुशासन के भाजपा के तरीके पर अपनी स्वीकृति की मुहर लगाई है। मेघालय में भी भाजपा समर्थित सरकार बनने के पूरे आसार। कांग्रेस और वामदल मिलकर लड़े, लेकिन बुरी तरह परास्त हुए और त्रिपुरा में पैर पसारने की कोशिश करने वाली तृणमूल कांग्रेस को शून्य से संतुष्ट होना पड़ा
जीवनशैली ठीक तो सब ठीक
कोल्हापुर स्थित श्रीक्षेत्र सिद्धगिरि मठ में आयोजित पंचमहाभूत लोकोत्सव का समापन 26 फरवरी को हुआ। इस सात दिवसीय लोकोत्सव में लगभग 35,00,000 लोग शामिल हुए। इन लोगों को पर्यावरण को बचाने का संकल्प दिलाया गया
नाकाम किए मिशनरी
भारत के इतिहास में पहली बार बंजारा समाज का महाकुंभ महाराष्ट्र के जलगांव जिले के गोद्री ग्राम में संपन्न हुआ। इससे पहली बार भारत और विश्व को बंजारा समाज, संस्कृति एवं इतिहास के दर्शन हुए। एक हजार से भी ज्यादा संतों और 15 लाख श्रद्धालुओं ने इसमें भाग लिया। इससे बंजारा समाज को हिन्दुओं से अलग करने और कन्वर्ट करने की मिशनरियों की साजिश नाकाम हो गई