आम आदमी पार्टी (आआपा) के मुखिया अरविंद केजरीवाल राजनीति में शुचिता की बात करते हैं लेकिन उनकी राजनीति में झूठ, फरेब, दोषारोपण, कलाबाजी, तुष्टीकरण जैसे प्रपंच साफ दिखते हैं, नहीं दिखती है तो बस शुचिता। अलबत्ता पार्टी की नींव ही फरेब और धोखेबाजी पर रखी गई। आरोप-प्रत्यारोप के दौरान केजरीवाल और उनके साथी दूसरे नेता अक्सर मर्यादा की सीमा लांघ जाते हैं।
मुख्यमंत्री बनने के बाद दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण के लिए केजरीवाल हरियाणा और पंजाब के किसानों को कोसा करते थे। कहते थे, पंजाब में तत्कालीन कैप्टन अमरिंदर सिंह और हरियाणा की भाजपा सरकारें किसानों को पराली जलाने के लिए मजबूर करती हैं, जिसके कारण दिल्ली में भारी प्रदूषण होता है। अब पंजाब में उनकी पार्टी की सरकार है। राज्य के किसान खुलेआम पराली जला रहे हैं, पर आआपा सरकार उन्हें रोक नहीं पा रही। चौतरफा घिरने के बाद उन्होंने केंद्र के विरुद्ध ही मोर्चा खोल दिया है। केजरीवाल का कहना है कि केंद्र सरकार जान-बूझकर पंजाब के किसानों को बदनाम कर रही है। वायु प्रदूषण के क्षेत्रीय और स्थानीय कारक भी हैं। बता दें कि पिछले साल 15 सितंबर से 6 नवंबर तक राज्य में पराली जलाने के 32,734 मामले दर्ज किए गए, जो इस साल 33,000 से अधिक हैं। खास बात यह है कि मुख्यमंत्री भगवंत मान के गृह जिले संगरूर में ही 4,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए, जो कुल मामलों का 15 प्रतिशत है।
हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे
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शिक्षा, स्वावलंबन और संस्कार की सरिता
रुद्रपुर स्थित दूधिया बाबा कन्या छात्रावास में छात्राओं को निःशुल्क शिक्षा के साथ-साथ संस्कार और स्वावलंबन का पाठ पढ़ाया जा रहा। इस अनूठे छात्रावास के कार्यों से अनेक लोग प्रेरणा प्राप्त कर रहे
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वामपंथियों ने छत्रपति शिवाजी की जयंती पर भाग्यनगर में उनका पोस्टर लगाया, तो दिल्ली के जेएनयू में इन लोगों ने शिवाजी के चित्र को फाड़कर फेंका दिया। इस दोहरे चरित्र के संकेत क्या हैं !
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आनंद का उत्कर्ष फाल्गुन
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