कांग्रेस की शह पर कत्लेआम
Panchjanya|November 27, 2022
नवंबर, 1984 में दिल्ली में सिखों को चुन-चुन कर मारा जा रहा था। कांग्रेस सरकार बदले की भावना से काम कर रही थी, कांग्रेसी नेताओं ने लोगों को उकसाया
मनजिंदर सिंह सिरसा
कांग्रेस की शह पर कत्लेआम

ज न्यायमूर्ति एस. एन. ढींगरा जो बात कह रहे हैं, वही बात हम पिछले 38 साल से कहते आ रहे हैं। यह बात स्पष्ट है कि 1984 में देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने ही सिखों के कत्लेआम की खुली छूट दी थी | इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिखों के विरुद्ध कत्लेआम शुरू हुआ तो राजीव गांधी ने कहा, "जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती-डोलती है।" इसके जरिए उन्होंने एक संदेश दिया और जिनके लिए दिया, वे बेखौफ मार-काट करने लगे। इस मामले को लेकर मैं लंबे समय से लड़ता रहा हूं। यह भी देखा गया कि जो पीड़ित परिवार न्याय के लिए अदालत पहुंचे, उनका और उत्पीड़न किया गया। उनमें से अधिकांश लोग डर गए, पीछे हट गए। लेकिन बहुत से लोग ऐसे भी थे जो अड़े रहे, लेकिन उन्हें भी न्याय नहीं मिला और गुनहगार बचते रहे। 

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अरविंद केजरीवाल सरकार की 'कट्टर ईमानदारी' का ढोल फट चुका है। उनकी कैबिनेट के 6 में से दो मंत्री सलाखों के पीछे। शराब घोटाले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की जांच की आंच कभी भी केजरीवाल तक पहुंच सकती है

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