सच-झूठ का पता नहीं। यह चीन है। जो होता है, वह सरकारी होता है। और चीन सत्य-असत्य में विश्वास नहीं करता, बल्कि अपनी इच्छानुसार सत्य और असत्य के निर्माण में विश्वास करता है। फिर भी, अगर वीडियो में नजर आने वाले समाचारों को सत्य मान लिया जाए, तो ग्वांगझू के चीनी विनिर्माण क्षेत्र में लोग मंगलवार रात पूरी तरह बख्तरबंद दंगा पुलिस से भिड़ गए। यह घटना ऑनलाइन वीडियो दिखाई गई है, लिहाजा विश्वसनीय है। यह विरोध प्रदर्शन बेहद कठोर कोविड- 19 लॉकडाउन को लेकर लगभग तीन सप्ताह से चल रहा है।
उधर शंघाई, बीजिंग और अन्य जगहों से विरोध प्रदर्शनों के बाद झड़पों के समाचार हैं। और ग्वांगझू के आसपास के दक्षिणी क्षेत्र में प्रतिबंधों को थोड़ा ढीला करने की खबरें चीनी सरकारी मीडिया पर हैं। तमाम लौह आवरण के बावजूद दुनिया इसे 1989 के तिएनआनमेन विरोध के बाद चीन में आम नागरिकों के विद्रोह की अब तक की सबसे बड़ी लहर मान रही है।
ट्विटर पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में दंगा पुलिस पर लोग कुछ फेंक कर मारते नजर आ रहे हैं, और बाद में पुलिस आम लोगों को कतार बनाकर हथकड़ी लगा कर किसी अज्ञात स्थान पर ले जाती दिखाई गई है। यह वीडियो ग्वांगझू के हाइझू जिले का है। यहां दो हफ्ते पहले भी कोविड लॉकडाउन को लेकर झड़पें हुई थीं।
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रुद्रपुर स्थित दूधिया बाबा कन्या छात्रावास में छात्राओं को निःशुल्क शिक्षा के साथ-साथ संस्कार और स्वावलंबन का पाठ पढ़ाया जा रहा। इस अनूठे छात्रावास के कार्यों से अनेक लोग प्रेरणा प्राप्त कर रहे
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वामपंथियों ने छत्रपति शिवाजी की जयंती पर भाग्यनगर में उनका पोस्टर लगाया, तो दिल्ली के जेएनयू में इन लोगों ने शिवाजी के चित्र को फाड़कर फेंका दिया। इस दोहरे चरित्र के संकेत क्या हैं !
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