हम युद्ध और शांति के बीच तटस्थ कभी नहीं रह सकते। हम गुलामी और स्वतंत्रता के बीच तटस्थ नहीं रह सकते। हम आजादी के लिए खड़े हैं। हम अपनी आजादी के लिए लड़े और स्वतंत्रता संघर्ष के दिनों से ही, हम दक्षिण अफ्रीका में स्वतंत्रता सेनानियों की मदद कर रहे हैं। नामीबिया या रोडेशिया या दक्षिणी अफ्रीका में जातिवादी गोरे शासकों के समर्थन का कोई प्रश्न ही खड़ा नहीं हो सकता। रंग भेद मानवता के विरुद्ध एक अपराध है। हम दूसरे गुटनिरपेक्ष देशों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर इस अपराध के विरुद्ध दूसरे देशों से लड़ रहे हैं। हम ऐसी विश्व व्यवस्था के प्रति वचनबद्ध हैं, जहां न तो कोई राजनीतिक प्रभाव हो और न ही जातीय भेदभाव। यदि आजादी खतरे में हो, यदि अन्याय करने का अपराध किया जाए, यदि ऐसे लोगों के द्वारा हम पर युद्ध थोपा जाए जिनको शस्त्र व्यापार से लाभ होता है। लेकिन गुटनिरपेक्षता का अनुकरण विश्व परिस्थिति को बदलने के सम्मान के साथ किया जाए। यह केवल एक राजनीतिक नीति ही नहीं हो सकती। वास्तव में हमें कुछ निश्चित सिद्धांतों से जुड़े रहना है, यदि परिस्थिति बदलती है तो हमें समायोजन करना पड़ेगा और उस समायोजन को छोड़ा नहीं जा सकता।
मुझे खेद सहित यह कहना पड़ रहा है कि कुछ मिथ्या आरोप हैं। मैं स्वीकार करता हूं कि पाकिस्तान से संबंध सुधारने की प्रक्रिया पिछली कांग्रेस सरकार के समय हुई थी। लेकिन मैं उस प्रक्रिया को आगे ले गया हूं। मुझे बधाई दी जानी चाहिए या लांछन ? मैं जानता हूं आप बधाई नहीं देंगे। आप कंजूस हैं। मैंने बिना किसी कंजूसी के पूर्व प्रधानमंत्री की प्रशंसा की थी, यद्यपि मैंने उन्हें काली या दुर्गा नहीं कहा था। (8 अगस्त, 1978, राज्यसभा, विदेश मंत्री के रूप में)
कम्युनिस्टों का कुप्रचार
Esta historia es de la edición December 25, 2022 de Panchjanya.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor ? Conectar
Esta historia es de la edición December 25, 2022 de Panchjanya.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor? Conectar
शिक्षा, स्वावलंबन और संस्कार की सरिता
रुद्रपुर स्थित दूधिया बाबा कन्या छात्रावास में छात्राओं को निःशुल्क शिक्षा के साथ-साथ संस्कार और स्वावलंबन का पाठ पढ़ाया जा रहा। इस अनूठे छात्रावास के कार्यों से अनेक लोग प्रेरणा प्राप्त कर रहे
शिवाजी पर वामंपथी श्रद्धा!!
वामपंथियों ने छत्रपति शिवाजी की जयंती पर भाग्यनगर में उनका पोस्टर लगाया, तो दिल्ली के जेएनयू में इन लोगों ने शिवाजी के चित्र को फाड़कर फेंका दिया। इस दोहरे चरित्र के संकेत क्या हैं !
कांग्रेस के फैसले, मर्जी परिवार की
कांग्रेस में मनोनीत लोगों द्वारा 'मनोनीत' फैसले लिये जा रहे हैं। किसी उल्लेखनीय चुनावी जीत के बिना कांग्रेस स्वयं को विपक्षी एकता की धुरी मानने की जिद पर अड़ी है जो अन्य को स्वीकार्य नहीं हैं। अधिवेशन में पारित प्रस्ताव बताते हैं कि पार्टी के पास नए विचार के नाम पर विफलताओं का जिम्मा लेने के लिए खड़गे
फूट ही गया 'ईमानदारी' का गुब्बारा
अरविंद केजरीवाल सरकार की 'कट्टर ईमानदारी' का ढोल फट चुका है। उनकी कैबिनेट के 6 में से दो मंत्री सलाखों के पीछे। शराब घोटाले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की जांच की आंच कभी भी केजरीवाल तक पहुंच सकती है
होली का रंग तो बनारस में जमता था
होली के मौके पर होली गायन की बात न चले यह मुमकिन नहीं। जब भी आपको होली, कजरी, चैती याद आएंगी, पहली आवाज जो दिमाग में उभरती है उसका नाम है- गिरिजा देवी। वे भारतीय संगीत के उन नक्षत्रों में से हैं जिनसे हिन्दुस्थान की सुबहें आबाद और रातें गुलजार रही हैं। उनका ठेठ बनारसी अंदाज। सीधी, खरी और सधुक्कड़ी बातें, लेकिन आवाज में लोच और मिठास। आज वे हमारे बीच नहीं हैं। अब उनके शिष्यों की कतार हिन्दुस्थानी संगीत की मशाल संभाल रही है। गिरिजा देवी से 2015 में पाञ्चजन्य ने होली के अवसर पर लंबी वार्ता की थी। इस होली पर प्रस्तुत है उस वार्ता के खास अंश
आनंद का उत्कर्ष फाल्गुन
भक्त और भगवान का एक रंग हो जाना चरम परिणति माना जाता है और इसी चरम परिणति की याद दिलाने प्रतिवर्ष आता है धरती का प्रिय पाहुन फाल्गुन। इसीलिए वसंत माधव है। राधा तत्व वह मृदु सलिला है जो चिरंतन है, प्रवाहमान है
नागालैंड की जीत और एक मजबूत भाजपा
नेफ्यू रियो 5वीं बार नागालैंड के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं।
सूर्योदय की धरती पर फिर खिला कमल
त्रिपुरा और नागालैंड की जनता ने शांति, विकास और सुशासन के भाजपा के तरीके पर अपनी स्वीकृति की मुहर लगाई है। मेघालय में भी भाजपा समर्थित सरकार बनने के पूरे आसार। कांग्रेस और वामदल मिलकर लड़े, लेकिन बुरी तरह परास्त हुए और त्रिपुरा में पैर पसारने की कोशिश करने वाली तृणमूल कांग्रेस को शून्य से संतुष्ट होना पड़ा
जीवनशैली ठीक तो सब ठीक
कोल्हापुर स्थित श्रीक्षेत्र सिद्धगिरि मठ में आयोजित पंचमहाभूत लोकोत्सव का समापन 26 फरवरी को हुआ। इस सात दिवसीय लोकोत्सव में लगभग 35,00,000 लोग शामिल हुए। इन लोगों को पर्यावरण को बचाने का संकल्प दिलाया गया
नाकाम किए मिशनरी
भारत के इतिहास में पहली बार बंजारा समाज का महाकुंभ महाराष्ट्र के जलगांव जिले के गोद्री ग्राम में संपन्न हुआ। इससे पहली बार भारत और विश्व को बंजारा समाज, संस्कृति एवं इतिहास के दर्शन हुए। एक हजार से भी ज्यादा संतों और 15 लाख श्रद्धालुओं ने इसमें भाग लिया। इससे बंजारा समाज को हिन्दुओं से अलग करने और कन्वर्ट करने की मिशनरियों की साजिश नाकाम हो गई