भारत में सांस्कृतिक जागरण का एक नया अध्याय 2014 के बाद से शुरू हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशन में भारत के अनेक प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिरों को भव्य रूप दिया जा रहा है। अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर विशाल मंदिर बन रहा है। काशी विश्वनाथ गलियारे से भोले की नगरी चमक गई है। उज्जैन में महाकाल लोक के निर्माण से सनातन संस्कृति को एक नई ऊर्जा मिल रही है। केदारनाथ धाम में आद्य शंकराचार्य का स्मारक बना। हैदराबाद में संत रामानुजाचार्य की स्मृति में बनी समानता की मूर्ति की आज हर कोई चर्चा करता है।
समानता की मूर्ति
2022 की वसंत पंचमी के दिन हैदराबाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संत रामानुजाचार्य की स्मृति में बनी समानता की मूर्ति (स्टैच्यू ऑफ इक्वालिटी) का उद्घाटन किया। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा, "जगद्गुरु श्री रामानुजाचार्य जी की इस विशाल मूर्ति के माध्यम से भारत मानवीय ऊर्जा और प्रेरणाओं को मूर्त रूप दे रहा है। रामानुजाचार्य जी की यह प्रतिमा उनके ज्ञान, वैराग्य और आदर्शों की प्रतीक है।" रामानुजाचार्य को अन्नामाचार्य, भक्त रामदास, त्यागराज, कबीर और मीराबाई जैसे कवियों के लिए प्रेरणा माना जाता है। संत रामानुजाचार्य जी के गुरु आलवन्दार यामुनाचार्य जी थे। अपने गुरु की इच्छानुसार रामानुजाचार्य जी ने 'ब्रह्मसूत्र', 'विष्णु सहस्रनाम' और 'दिव्य प्रबंधनम' की टीका लिखने का संकल्प लिया था। उनका कहना था कि सभी जातियां एक हैं और इसलिए उनके साथ किसी का भेदभाव नहीं होना चाहिए और मंदिरों के कपाट सबके लिए खुलें। यही कारण है कि उनकी स्मृति में बनाई गई मूर्ति को 'समानता की मूर्ति' नाम दिया गया है।
'महाकाल लोक' का निर्माण
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