बलूचिस्तान से आजाद होने की चाह के साथ छापामार युद्ध कर रहे बलूचों ने पिछले कुछ दिनों में पाकिस्तानी सुरक्षाबलों को बार-बार निशाना बनाया और उसके कई जवानों को मार गिराया। इन हमलों से दो बातें साफ हो रही हैं। पहली, बलूचिस्तान में चल रहे छापामार संघर्ष में फिलहाल पाकिस्तानी फौज बैकफुट पर है और दूसरी, जिन्ना को लेकर बलूचों के मन में गुस्सा कूट-कूट कर भरा हुआ है।
सबसे पहले बात उन हमलों की जो हाल के दिनों में बलूचों ने किए-
10 दिसंबर: क्वेटा के दक्षिण-पश्चिम में नोशकी नामक स्थान पर बलूच लड़ाकों ने आगा वली नाम के स्थानीय दुकानदार की हत्या कर दी। आगा आईएसआई के लिए काम करता था। उसका मुख्य काम पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के लिए युवाओं को बहला-फुसलाकर या फिर डरा-धमकाकर काम करने के लिए तैयार करना था। अब तक उसने कई बलूच लड़कियों को ब्लैकमेल करके उन्हें आईएसआई के लिए काम करने को तैयार किया था। इसके अलावा, उसकी मुखबिरी के कारण कई बलूच मारे जा चुके थे और कई लोगों को सुरक्षाबल उठाकर ले गए, जिनका कोई अता-पता नहीं चला। इसलिए आगा निशाने पर था।
इसी दिन केच तहसील स्थित छोटी-सी घाटी बुलैदा के मेनाज इलाके में छिपे आईएसआई के ठिकाने पर बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) के लड़ाकों ने हमला किया। हमले के समय वहां पाकिस्तानी फौज के भी कुछ जवान थे। इस हमले में तीन जवान घायल हो गए।
13 दिसंबर: खरान में शहरियार नौशेरवानी पर हमला क गया। शहरियार का भी काम वही था, जो नोशकी के आगा वली का। यानी आईएसआई के लिए स्थानीय लोगों को काम करने के लिए तैयार करना। उसके कारण भी कई लोगों की जान जा चुकी थी और कई लोग लापता किए जा चुके थे।
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