अभी कुछ दिन पहले ही केरल में मजहबी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के एक गुर्गे को गिरफ्तार किया गया। उसका नाम है मोहम्मद मुबारक, जो केरल उच्च न्यायालय में वकील है। आरोप के अनुसार वह 'मार्शल आर्ट' और 'टारगेट किलिंग' का प्रशिक्षण देता था।
पीएफआई से जुड़े लोगों के विरुद्ध लगातार कार्रवाई की जा रही है, छापे मारे जा रहे हैं। संगठन को भले ही प्रतिबंधित किया जा चुका हो, लेकिन अभी पर्दे के पीछे से इसे सक्रिय रखने के भरसक प्रयास किए जा रहे हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने हैदराबाद की एक विशेष अदालत में पीएफआई के 11 गुर्गों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया है। इन सभी पर योग कक्षा की आड़ में आतंकियों को प्रशिक्षित करने के आरोप हैं। एनआईए ने अपने आरोपपत्र में कहा है कि पीएफआई में भर्ती होने के बाद मुस्लिम युवाओं को योग कक्षाओं और शारीरिक शिक्षा की आड़ में प्रशिक्षण शिविरों में चाकू, दरांती और लोहे की छड़ें चलाने के लिए प्रशिक्षित किया गया था। इनको सिखाया जाता था कि कैसे किसी के शरीर के मर्म अंगों, जैसे कि गले, पेट और सिर पर हमला करना है।
इसके अलावा एनआईए ने पीएफआई पर प्रतिबंध के बाद गिरफ्तार किए गए इसके नेताओं के बारे में कोच्चि में विशेष एनआईए अदालत को जानकारी दी है। इसके अनुसार पीएफआई के नेता इस्लामिक स्टेट (आईएस) और अल-कायदा के कुछ आतंकवादियों के संपर्क में थे। एनआईए ने बताया कि आईएस और अल-कायदा जैसे आतंकवादी संगठन जिहादियों का इस्तेमाल उन देशों में विध्वंसक गतिविधियों के लिए करते हैं, जहां उनका सीधा संचालन संभव नहीं है। यही नहीं, इन संगठनों की अगुआई कर रहे कई आतंकवादी केरल में पीएफआई के नेताओं के संपर्क में थे। एनआईए को पीएफआई की देशद्रोही हरकतों के संबंध में डिजिटल साक्ष्य भी मिले हैं। एनआईए ने अपने आरोपपत्र में सोशल मीडिया समूहों के माध्यम से युवाओं को आतंकवादी गतिविधियों में शामिल करने जैसी जानकारी भी दी है।
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