आज का युद्धक्षेत्र दो पक्ष वाला जमीन का टुकड़ा नहीं है, जो स्पष्ट रूप से परिभाषित हो। नए युद्धक्षेत्र में देश की संपूर्ण भूमि, तटीय क्षेत्र, द्वीप क्षेत्र, समुद्र की गहराई, वायु क्षेत्र, अंतरिक्ष और साइबर क्षेत्र निहित होते हैं। अब इसमें मनोवैज्ञानिक क्षेत्र भी शामिल हो गया है अर्थात् राजनीतिक - सैन्य नेतृत्व और बड़े पैमाने पर जनता का मस्तिष्क।
युद्ध के स्पेक्ट्रम यानी युद्ध के कुल दायरे को भी साफ-सुथरी, आसानी से समझी जा सकने वाली ऐसी रेखा के रूप में नहीं देखा जा सकता, जिसके एक छोर पर शांति हो और दूसरे छोर पर युद्ध। यह एक निरंतरता है, जिसमें सैन्य और गैर-सैन्य संघर्षों की रोकथाम, संघर्ष और संघर्ष के बाद की गतिविधियों की एक पूरी कतार है। इनके बीच अंतर अस्पष्ट है। इस वातावरण में इन्फैंट्री को, जिसे बोलचाल की भाषा में 'युद्ध की रानी' कहा जाता है, अपना काम करना होता है।
पैदल सैनिक के लिए लड़ाई हमेशा बहुत निकट की और व्यक्तिगत होती है। इन्फैंट्री क्लोज क्वार्टर कॉम्बैट (बहुत नजदीक से युद्ध) में शामिल होती है, जमीन पर कब्जा करती है और जैसा कि कहा जाता है, अंतिम आदमी और आखिरी गोली तक लड़ती है। इन्फैंट्रीमैन का कौशल, चतुराई और विशुद्ध साहस ही इन्फैंट्री की मूल ताकत और उसका औचित्य होता है। प्रौद्योगिकी एक ऐसा फोर्स-मल्टीप्लायर होती है, जो सैनिक को वास्तव में अजेय बनाती है। पिछले कुछ समय से भारतीय सेना में इन्फैंट्री का कायापलट हो रहा है। इसका उद्देश्य उन्नत हथियारों और संचार प्रणालियों के क्षेत्र में हुई अभूतपूर्व प्रगति का लाभ उठाना है, ताकि सैनिकों को युद्ध में निर्णायक बढ़त मिल सके। लेकिन इस परिवर्तन के बावजूद जो चीज स्थिर है, के वह सैनिक का स्वभाव और सैनिक की भावना है। यह प्रशिक्षण, रेजिमेंटेशन, अनुशासन, यूनिट की ऊर्जा और आत्मविश्वास और कोर के मनोबल का गुणनफल होता है। इन्फैंट्री या पैदल सेना के लिए सैनिक हथियार है और उसे शत्रु को हराने के लिए हर मौसम और हर इलाके की परिस्थितियों में सफलतापूर्वक लड़ने में सक्षम होना चाहिए।
चुनौतियां
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