हर साल जब असम देश में मातृ मृत्यु दर में सबसे ऊपर होता है, तो कांग्रेस और एआईयूडीएफ जैसी विपक्षी पार्टियां राज्य सरकार की आलोचना करने से नहीं चूकतीं। लेकिन वे इसके मूल कारणों का विश्लेषण करने की कोशिश कभी नहीं करती हैं, जबकि यह साबित हो चुका है कि बाल विवाह और किशोर गर्भावस्था राज्य में उच्च एमएमआर के प्रमुख कारणों में से एक हैं अब मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा मूल कारण को जड़ से खत्म करने में जुट गए हैं, तब भी इन राजनीतिक दलों, खासकर मुस्लिम नेताओं को यह हजम नहीं हो रहा। वे राज्य सरकार द्वारा की जा रही कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं। वहीं, मुख्यमंत्री ने कहा है कि सरकार अपने फैसले पर अडिग है और 2026 तक असम में बाल विवाह पर पूरी तरह रोक लगा देगी। हालांकि, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने राज्य सरकार के फैसले के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय जाने की बात कही है।
राज्यव्यापी अभियान
हिमंता बिस्व सरमा की अगुआई वाली भाजपा सरकार ने एक कैबिनेट फैसले के बाद बीती 23 जनवरी से असम में बाल विवाह की सामाजिक बुराई के विरुद्ध कठोर कदम उठाना शुरू कर दिया है। बाल विवाह के विरुद्ध व्यापक अभियान में राज्य सरकार ने बाल विवाह के 8,000 से अधिक मामले चिह्नित किए हैं। अभी तक राज्य पुलिस ने 4,074 मामले दर्ज किए हैं। 3 फरवरी से अब तक 2,528 अपराधियों की गिरफ्तारी हो चुकी है, जिनमें 75 काजी और 78 महिलाएं भी हैं। गिरफ्तार आरोपियों के लिए गोलपारा में 3,000 की क्षमता वाला मटिया ट्रांजिट कैम्प और सिलचर में एक स्टेडियम को अस्थायी जेल में बदला गया है। अधिकांश गिरफ्तारियों मध्य और निचले जिलों से हुई हैं, जहां बड़ी संख्या में बांग्लादेशी घुसपैठिये रहते हैं। निचले जिलों में धुबरी, बरपेटा, डारंग, बिस्वनाथ चराली, चिरांग, बोंगईगांव, गोलपारा, जबकि मध्य असम के नागांव और मोरीगांव जिले हैं। धुबरी में 370, होजई में 255, मोरीगांव में 224, उदलगुरी में 235 और कोकराझार में 204 मामले दर्ज किए गए हैं। सर्वाधिक गिरफ्तारी बिश्वनाथ जिले में हुई है, जहां 80 प्रतिशत से अधिक आबादी हिंदू है।
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