श्री सूक्त के 16 मन्त्र माँ लक्ष्मी को विशेष प्रसन्न करने वाले माने गए हैं। यह सूक्त 'श्री' अर्थात् लक्ष्मी प्रदान करने वाला है। इसी कारण इसे श्रीसूक्त कहते हैं। वेदोक्त होने के कारण यह अत्यधिक प्रभावशाली भी है। प्रत्येक धार्मिक कार्य में, हवनादि के अन्त में इन 16 सूक्तों से माँ लक्ष्मी के प्रसन्नार्थ आहूतियाँ अवश्य लगाई जाती हैं। इसके 16 सूक्तों से माँ लक्ष्मी की षोडशोपचार पूजा की जाती है। दीपावली पर पुराणोक्त, वेदोक्त अथवा पारम्परिक रूप से तो प्रतिवर्ष ही आप पूजन करते हैं। इस वर्ष इन विशिष्ट सूक्तों से माँ लक्ष्मी को प्रसन्न कीजिए।
लक्ष्मी पूजन हेतु सामग्री
रोली, मौली, पान, सुपारी, अक्षत (साबुत चावल), धूप, घी का दीपक, तेल का दीपक, खील, बतासे, श्रीयंत्र, शंख (दक्षिणावर्ती हो, तो उत्तम), घंटी, घिसा हुआ चन्दन, जलपात्र, कलश, पाना (लक्ष्मी, गणेश एवं सरस्वती का संयुक्त चित्र), दूध, दही, शहद, शर्करा, घृत, गंगाजल, सिन्दूर, नैवेद्य, इत्र, यज्ञोपवीत, श्वेतार्क पुष्प, कमल का पुष्प, वस्त्र, कुंकुम, पुष्पमाला, ऋतुफल, कर्पूर, नारियल, इलायची, दूर्वा, एकाक्षी नारियल, चाँदी का वर्क इत्यादि।
पूजन विधि
सर्वप्रथम लक्ष्मी-गणेश के पाने (चित्र), श्रीयन्त्र आदि को जल से पवित्र करके लाल वस्त्र से आच्छादित चौकी पर स्थापित करें। लाल कम्बल या ऊन के आसन को बिछाकर पूर्वाभिमुख या उत्तराभिमुख बैठें। पूजन सामग्री निम्नलिखित प्रकार से रखें :
बायीं ओर :
1. जल से भरा हुआ पात्र, 2. घंटी, 3. धूपदान, 4. तेल का दीपक।
दायीं ओर :
1. घृत का दीपक, 2. जल से भरा शंख (दक्षिणावर्ती शंख हो, तो उत्तम )।
सामने :
1. घिसा हुआ चन्दन, 2. रोली, 3. मौली, 4. पुष्प, 5. अक्षत आदि।
भगवान् के सामने : चौकी पर नैवेद्य।
सर्वप्रथम निम्नलिखित मन्त्र से अपने ऊपर तथा पूजन सामग्री के ऊपर जल छिड़कें :
ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा।
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः॥
अब चौकी के दायीं ओर घी का दीपक प्रज्वलित करें।
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