ईश्वर भक्ति से हो सकता है समस्याओं का समाधान
Jyotish Sagar|November 2022
जो मनुष्य भगवान् की लीलाओं को सुनते-सुनते रोने लग जाते हैं, उनके जन्म-जन्मान्तर के पाप नष्ट हो जाते हैं। प्रभु की लीलाओं के सुनने एवं याद करने से बढ़कर अन्य कोई उपाय मनुष्य के उद्धार के लिए नहीं है।
रेखा कल्पदेव
ईश्वर भक्ति से हो सकता है समस्याओं का समाधान

श्वर की आराधना से सभी प्रकार के कष्ट एवं पापों से मुक्ति मिलती है। ईश्वर की प्रेम भक्ति से आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है, किन्तु ईश्वर की भक्ति से पूर्व मन को सात्विक तथा निष्काम बनाना आवश्यक है। ईश्वर का निरन्तर स्मरण करने से व्यक्ति परमधाम को प्राप्त होता है, अन्यथा उसे चौरासी लाख योनियों में ही भटकना पड़ता है। भगवान् श्रीकृष्ण ने भगवद्गीता में कहा है कि चार प्रकार के मनुष्य प्रभु की शरण में जाते हैं :

  1. वे जो दु:खी हैं, अपने दुःखों से मुक्ति पाने के लिए।
  2. वे जिन्हें जिज्ञासा है, ईश्वर को जानने की। 
  3. वे जिन्हें धन की आवश्यकता है, सांसारिक कार्यों के लिए।
  4. वे जिन्हें परम सत्य का ज्ञान है।

किसी कार्य की पूर्ति के लिए प्रभु की पूजा सकाम भक्ति कहलाती है। शुद्ध भक्ति निष्काम होती है और उसमें किसी लाभ की आकांक्षा नहीं रहती। जो परमज्ञानी है और शुद्ध भक्ति में लगा रहता है, वह सर्वश्रेष्ठ है, क्योंकि मैं उसे अत्यन्त प्रिय हूँ और वह मुझे अत्यन्त प्रिय है। जिसकी बुद्धि भौतिक इच्छाओं द्वारा प्रभावित है, वे देवताओं की शरण लेते हैं और अपने स्वभाव के अनुसार पूजा के विशेष विधिविधानों का पालन करते हैं। देवता विशेष की पूजा द्वारा अपनी इच्छा की पूर्ति करते हैं, किन्तु वास्तविकता यह है कि ये सारे लाभ केवल मेरे द्वारा प्रदत्त हैं।

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