प्रस्तुत लेखमाला 'कैसे करें सटीक फलादेश?' के अन्तर्गत विभिन्न भावों में सूर्यादि नवग्रहों के भावगत, राशिगत, नक्षत्रगत, युति एवं दृष्टिजन्य फलों का सोदाहरण वर्णन किया जा रहा है। विगतांक में कुम्भ लग्न के अष्टम भाव में स्थित सूर्य के फलों का वर्णन किया गया था। अब प्रस्तुत आलेख में चन्द्रमा के फलों का सोदाहरण वर्णन कर रहे हैं।
कुम्भ लग्न के अष्टम भाव में स्थित चन्द्रमा के फल
कुम्भ लग्न में चन्द्रमा चतुर्थेश होकर अकारक होता है। अष्टम भाव में उसकी स्थिति नैसर्गिक रूप से भले ही शुभ नहीं मानी जाती, परन्तु षष्ठेश का अष्टम में होना 'विपरीत राजयोग' बनाता है। कालिदास ने इसे विशेष रूप से उल्लिखित किया है। मन्त्रेश्वर ने इसे 'हर्ष योग' कहा है। दूसरी ओर यह रिश्तों के सम्बन्ध शुभ नहीं है, विशेषकर जीवनसाथी के साथ रिश्तों में में। षष्ठेश सप्तम भाव मके व्यय भाव का स्वामी होने के कारण वैवाहिक सुख में कमी कारक है। इसकी अन्तर्दशा- प्रत्यन्तर्दशा में जातक को वैवाहिक सुख में कमी का अनुभव होता है। अष्टमस्थ षष्ठेश डिवोर्स का कारण भी अपनी दशा में बनता है। चन्द्रमा की अष्टम भावगत स्थिति स्वास्थ्य की दृष्टि से शुभ नहीं मानी जाती। यहाँ स्थित चन्द्रमा मनोरोगों के प्रति जातक को संवेदनशील बनाता है और यदि चन्द्रमा किसी पापग्रह से पीड़ित हो, तो अपनी दशा में जातक को एंजाइटी, डिप्रेशन एवं अन्य मनोरोग प्रदान कर सकता है। अष्टम भावस्थ चन्द्रमा जातक को इमोशनल है और उसके प्रभाव से जातक शीघ्र ही आवेश में आने वाला अथवा कई बार आत्महत्या जैसे गलत कदम उठाने वाला भी हो सकता है। अष्टमस्थ चन्द्रमा मौसमजनित रोगों के प्रति संवेदनशील भी बनाता है। बचपन में ऐसा जातक मौसम परिवर्तन के समय सामान्यत: रुग्ण होता है।
अष्टम भाव में चन्द्रमा की उपस्थिति नैसर्गिक रूप से मातृसुख में कमी करती है। माता बीमार हो सकती है अथवा जातक को अपनी माता से दूर रहना पड़ता है। यह देखा गया है कि ऐसा जातक बचपन में ही बोर्डिंग स्कूल, होस्टल आदि में रहकर अपने माता-पिता से दूर चला जाता है। वैसे भी यह माता के हित में है कि जातक उनसे दूर रहे, अन्यथा जातक की माता रोग आदि से पीड़ित हो सकती हैं। कुछ मामलों में अष्टमस्थ चन्द्रमा माता-पिता के मध्य डिवोर्स का कारण भी बनता दिखाई दिया।
Esta historia es de la edición January 2023 de Jyotish Sagar.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor ? Conectar
Esta historia es de la edición January 2023 de Jyotish Sagar.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor? Conectar
सात धामों में श्रेष्ठ है तीर्थराज गयाजी
गया हिन्दुओं का पवित्र और प्रधान तीर्थ है। मान्यता है कि यहाँ श्रद्धा और पिण्डदान करने से पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त होता है, क्योंकि यह सात धामों में से एक धाम है। गया में सभी जगह तीर्थ विराजमान हैं।
सत्साहित्य के पुरोधा हनुमान प्रसाद पोद्दार
प्रसिद्ध धार्मिक सचित्र पत्रिका ‘कल्याण’ एवं ‘गीताप्रेस, गोरखपुर के सत्साहित्य से शायद ही कोई हिन्दू अपरिचित होगा। इस सत्साहित्य के प्रचारप्रसार के मुख्य कर्ता-धर्ता थे श्री हनुमान प्रसाद जी पोद्दार, जिन्हें 'भाई जी' के नाम से भी सम्बोधित किया जाता रहा है।
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर अमृत गीत तुम रचो कलानिधि
राष्ट्रकवि स्व. रामधारी सिंह दिनकर को आमतौर पर एक प्रखर राष्ट्रवादी और ओजस्वी कवि के रूप में माना जाता है, लेकिन वस्तुतः दिनकर का व्यक्तित्व बहुआयामी था। कवि के अतिरिक्त वह एक यशस्वी गद्यकार, निर्लिप्त समीक्षक, मौलिक चिन्तक, श्रेष्ठ दार्शनिक, सौम्य विचारक और सबसे बढ़कर बहुत ही संवेदनशील इन्सान भी थे।
सेतुबन्ध और श्रीरामेश्वर धाम की स्थापना
जो मनुष्य मेरे द्वारा स्थापित किए हुए इन रामेश्वर जी के दर्शन करेंगे, वे शरीर छोड़कर मेरे लोक को जाएँगे और जो गंगाजल लाकर इन पर चढ़ाएगा, वह मनुष्य तायुज्य मुक्ति पाएगा अर्थात् मेरे साथ एक हो जाएगा।
वागड़ की स्थापत्य कला में नृत्य-गणपति
प्राचीन काल से ही भारतीय शिक्षा कर्म का क्षेत्र बहुत विस्तृत रहा है। भारतीय शिक्षा में कला की शिक्षा का अपना ही महत्त्व शुक्राचार्य के अनुसार ही कलाओं के भिन्न-भिन्न नाम ही नहीं, अपितु केवल लक्षण ही कहे जा सकते हैं, क्योंकि क्रिया के पार्थक्य से ही कलाओं में भेद होता है। जैसे नृत्य कला को हाव-भाव आदि के साथ ‘गति नृत्य' भी कहा जाता है। नृत्य कला में करण, अंगहार, विभाव, भाव एवं रसों की अभिव्यक्ति की जाती है।
व्यावसायिक वास्तु के अनुसार शोरूम और दूकानें कैसी होनी चाहिए?
ऑफिस के एकदम कॉर्नर का दरवाजा हमेशा बिजनेस में नुकसान देता है। ऐसे ऑफिस में जो वर्कर काम करते हैं, तो उनको स्वास्थ्य से जुड़ी कई परेशानियाँ आती हैं।
श्रीगणेश नाम रहस्य
हिन्दुओं के पंच परमेश्वर में भगवान् गणेश का स्थान प्रथम माना जाता है। शंकराचार्य जी ने के भी पंचायतन पूजा में गणेश पूजन विधान का उल्लेख किया है। गणेश से तात्पर्य गण + ईश अर्थात् गणों का ईश से है। भगवान् गणेश को कई अन्य नामों से भी पूजा जाता है जैसे विघ्न विनाशक, विनायक, लम्बोदर, सिद्धि विनायक आदि।
प्रेम और भक्ति की अनन्य प्रतीक 'श्रीराधा'
कृष्ण चरित के प्रतिनिधि शास्त्र भागवत और महाभारत में राधा का उल्लेख नहीं होने के बावजूद वे लोकमानस में प्रेम और भक्ति की अनन्य प्रतीक के रूप में बसी हुई हैं। सन्त महात्माओं ने उन्हें कृष्णचरित का अभिन्न अंग माना है। उनकी मान्यता है कि प्रेम और भक्ति की जैसे कोई सीमा नहीं है, उसी तरह राधा का चरित, उनकी लीला और स्वरूप भी प्रेमाभक्ति का चरमोत्कर्ष है।
राजस्थान के लोकदेवता और समाज सुधारक बाबा रामदेव
राजस्थान के देवी-देवताओं में बाबा रामदेव का नाम काफी विख्यात है। इनके अनुयायी राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात और सिन्ध (पाकिस्तान) आदि में बड़ी संख्या में हैं।
जन्मपत्रिका में चन्द्रमा और मनुष्य का भावनात्मक जुड़ाव
जिस प्रकार लग्न हमारा शरीर अर्थात् बाहरी व्यक्तित्व है, उसी प्रकार चन्द्रमा हमारा सूक्ष्म व्यक्तित्व है, जो किसी को भी दिखाई नहीं देता, लेकिन महसूस अवश्य होता है।