शिवोपासना की प्राचीनता
Jyotish Sagar|February 2023
केदारनाथ धाम में भगवान् शिव के दर्शन करने से व्यक्ति को मुक्ति मिलती है। यह भी कहा गया है कि भगवान् शिव के बारह ज्योर्तिलिंग में से किसी एक ज्योर्तिलिंग का पूजन जो श्रद्धापूर्वक करता है, उसे मृत्यु के उपरान्त मोक्ष प्राप्त होता है। साथ ही दैहिक, दैविक और भौतिक कष्टों से छुटकारा मिल जाता है।
डॉ. श्याम मनोहर व्यास
शिवोपासना की प्राचीनता

शिवोपासना विश्व में भगवान् की प्राचीनतम आराधना है। शिव अनादि और शाश्वत देवता हैं। शिव के आविर्भाव का वर्णन अनेक पौराणिक ग्रन्थों तथा वैदिक वाङ्मय में मिलता है। किसी युग में स्वयंभू ज्योर्तिलिंग रूप में तो कभी अन्य रूप में भगवान् शिव का वर्णन मिलता है।

काशी की ज्योर्तिलिंग प्रतिमा स्वयंभू है। कहीं-कहीं शिव भक्त की कठोर आराधना के कारण प्रकट हुए हैं। सोमनाथ का प्रसिद्ध ज्योर्तिलिंग चन्द्रमा की शिवोपासना के परिणामस्वरूप वहाँ शिवजी ज्योर्तिलिंग के रूप में प्रकट हुए हैं। हर पुराण, हर वेद और अन्य वाङ्मय कभी रुद्र के रूप में, तो कभी शिव अथवा अन्य पर्यायवाची नाम से विविध मन्त्रों के रूप में उनका गुणगान करता है। जैसा कि निम्नलिखित मन्त्र से शिव का आवाहन किया गया है:

गुरुवे सर्वलौकानां, भिषजे भवरोगिणां। विधये सर्वविधिनां, दक्षिणामूर्तये नमः ॥

अर्थात् जो समस्त विश्व के गुरु हैं, जो मृत्युलोक के सारे पापों का निवारण करते हैं और जो समस्त महान् विद्याओं की निधि हैं, ऐसे उन भगवान् दक्षिणामूर्ति शिव को मैं प्रणाम करता हँ। आदि शंकराचार्य का शिव स्तोत्र है :

कर चरण कृतं वाक्कायजं कर्मजं वा, श्रवणानयनजं वा मानसं वापराधम् ।

विहितमविहितं वा सर्वमेतत्क्षमस्व, जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो।। 

अर्थात हे महादेव! आप करुणा के सागर हैं। विनती करता हूँ कि मुझे क्षमा करें। मेरे उन अपराधों के लिए, जो मैंने जाने अथवा अनजाने में, अपने शरीर, वाणी, कर्म, श्रुतियों, नेत्रों अथवा मस्तिष्क से किए हैं। हे करुणा के सागर महादेव जी, आपकी जय-जयकार हो । अन्य एक यजुर्वेद का अति लोकप्रिय शिव मन्त्र है :

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् । ऊर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीयमामृतात्।। [यजुर्वेद]

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