भारतीय बाजारों का यदि सर्वेक्षण किया जाए, तो दीपावली एवं उसके आस-पास के त्योहारों पर सर्वाधिक कारोबार होता है। इस प्रकार यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भी अत्यन्त महत्त्वपूर्ण पर्व है। प्रायः सभी क्षेत्रों में इस दौरान सर्वाधिक क्रय-विक्रय होता है।
जैसाकि सर्वविदित है, दीपावली महोत्सव धनत्रयोदशी से आरम्भ होकर भाईदूज तक मनाया जाता है। इस पंचदिवसीय महोत्सव में अनेक पर्व एवं त्योहार मनाए जाते हैं। इस वर्ष यद्यपि उक्त पर्व छह दिनों की अवधि में मनाए जाएँगे। प्रस्तुत आलेख में इस अवधि में मनाए जाने वाले प्रमुख पर्व एवं त्योहारों का वर्णन किया जा रहा है।
1 प्रथम दिवस
धनत्रयोदशी
[कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी (10 नवम्बर, 2023)]
धनत्रयोदशी दीपावली महोत्सव का प्रथम पर्व है। इस वर्ष धनत्रयोदशी 10 नवम्बर, 2023 (शुक्रवार) को है। इस पर्व पर किए जाने वाले प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं:
1. कुबेर का पूजन (10 नवम्बर, 2023)।
2. बर्तन आदि नवीन वस्तुओं का क्रय (10 नवम्बर, 2023)।
3. सायंकालीन दीपदान (10 नवम्बर, 2023)।
4. आरोग्य के देवता धन्वन्तरि का पूजन व जयन्ती उत्सव (11 नवम्बर, 2023)।
धनतेरस पर धनप्रदाता कुबेर के पूजन का भी प्रचलन है। कुबेर धनाध्यक्ष हैं। वे देवताओं के खजांची हैं। वे सभी प्रकार की निधियों के स्वामी हैं। स्थायी धन प्राप्ति के लिए भी उनका पूजन किया जाता है। उनकी कृपा प्राप्ति से धनागम की वृद्धि होती है और धन संचय सम्भव होता है।
धनत्रयोदशी पर बहुमूल्य वस्तुएँ, बर्तन, आभूषण, दैनिक उपयोग की वस्तुएँ, वाहन, भूमि, भवन इत्यादि का क्रय किया जाता है। सामान्यतः इस प्रकार का क्रय मध्याङ्घ एवं अपराह्न में किया जाता है। इस दिन चाँदी एवं पीतल के बर्तन लाना विशेष शुभ माना गया है। मान्यता है कि घर में नया बर्तन लाने से सौभाग्य एवं समृद्धि की वृद्धि होती है। आगामी वर्ष में धन-धान्य एवं सम्पदा बनी रहती है।
धनत्रयोदशी से जुड़ी मान्यताओं में यह भी है कि इस दिन धन का आगमन होना चाहिए, गमन नहीं। इसलिए इस दिन उधार आदि देना निषिद्ध बताया गया है। साथ ही, प्रयास यह भी रहता है, कि जो भी वस्तुएँ इस दिन खरीदी जाएँ, वे उधार में खरीदी जाएँ।
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