शिवरात्रि का वास्तविक मर्म
Jyotish Sagar|March 2024
महाशिवरात्रि पर विशेष
शिवरात्रि का वास्तविक मर्म

विश्व में शायद ही कोई देश होगा, जहाँ शिवलिंग की पूजा किसी न किसी रूप में नहीं होती हो। शिव का शाब्दिक अर्थ ही 'कल्याणकारी' है और 'लिंग' का अर्थ है 'प्रतिमा' अथवा 'चिह्न', अतः शिवलिंग का अर्थ हुआ 'कल्याणकारी प्रतिमा'। हमारे आदिग्रन्थ ऋग्वेद में भगवान् शिव की वन्दना की गई है। शिवपुराण में उनकी वन्दना करते हुए कहा गया है कि, “सृष्टि के आरम्भ में एक ही रुद्रदेव विद्यमान हैं, दूसरा कोई नहीं है। वे ही इस जगत् के सृष्टि रचते हैं। इसकी रक्षा करते हैं और अन्त में सबका संहार करते हैं।” भारत में भगवान् शिव के बारह ज्योतिर्लिंग प्रसिद्ध हैं। वैश्विक फलक पर शिव आराधना प्रसारगामी है।

यद्यपि अन्य मत के लोग शिवलिंग की उतनी और उस रीति से पूजा नहीं करते जैसा कि हिन्द करते हैं, फिर भी ऐसे अनेक प्रमाण मिलते हैं जिनसे यह सिद्ध होता है कि वर्तमान समय में भी अनेक धर्मावलम्बी शिवलिंग को धार्मिक महत्त्व देते हैं। रोम में कैथोलिक समाज एक अण्डाकार पत्थर की आज भी पूजा करते हैं। मक्का (अरब में) पर मुसलमान आज भी इसी प्रकार के एक पत्थर को चूमते हैं; जिसे 'संगए- अवसद' अथवा 'मक्केश्वर' कहा जाता है। जापान में बौद्ध शिवलिंग जैसा पत्थर अपने साधना स्थल पर रखते हैं। यहूदी ‘स्टार ऑफ डेविड की पूजा करते हैं।

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