शिव ने शिव के विष पीने के कारण ही समुद्र मन्थन में देवताओं को अमृत सुलभ हो सका और कुम्भ में वही अमृत हम लोगों तक पहुँचता है। इतना ही नहीं, भगवान् शिव ने ही देवी गंगा को अपनी जटाओं में धारण करके पृथ्वी पर लाने का मार्ग प्रशस्त किया था। इसके अतिरिक्त शिवजी को 'त्र्यम्बक' भी कहा जाता है।
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनात् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।
‘त्र्यम्बक' गंगा, यमुना और सरस्वती की त्रिवेणी है, जिसके देवता स्वयं महादेव हैं। फाल्गुन मास के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी में उपवास, रात्रि जागरण और शिवार्चन करने का विधान है। 'उपवास' का तात्पर्य मात्र भोजन का त्याग नहीं है। शास्त्रों के अनुसार इष्टदेव (शिव) के समीप वास ही 'उपवास' कहा जाता है। भविष्यपुराण का कहना है कि उपवास से तन और मन दोनों शुद्ध होते हैं। देवीपुराण में कहा गया है कि भगवान् शिव का ध्यान, पूजन, स्तोत्र पाठ आदि के साथ निवास (रहना) करना ही सच्चा उपवास है। उपवास से इन्द्रियों को संयम के अनुशासन में लाया जाता है।
ईशान संहिता के अनुसार फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की अर्द्धरात्रि में शिवलिंग सर्वप्रथम प्रकट हुए थे। अनेक पुराणों में इस विधि को शिव-शक्ति के महामिलन की तिथि बताया गया है। इस कारण 'शिवरात्रि' के दिन शिव-पार्वती का विवाहोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। सही मायनों में 'शिवरात्रि ' शिवत्व प्रदान करने वाली रात्रि है। शिवरात्रि के आध्यात्मिक संदेश को जानना भी आवश्यक है।
शिव का माहात्म्य
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सात धामों में श्रेष्ठ है तीर्थराज गयाजी
गया हिन्दुओं का पवित्र और प्रधान तीर्थ है। मान्यता है कि यहाँ श्रद्धा और पिण्डदान करने से पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त होता है, क्योंकि यह सात धामों में से एक धाम है। गया में सभी जगह तीर्थ विराजमान हैं।
सत्साहित्य के पुरोधा हनुमान प्रसाद पोद्दार
प्रसिद्ध धार्मिक सचित्र पत्रिका ‘कल्याण’ एवं ‘गीताप्रेस, गोरखपुर के सत्साहित्य से शायद ही कोई हिन्दू अपरिचित होगा। इस सत्साहित्य के प्रचारप्रसार के मुख्य कर्ता-धर्ता थे श्री हनुमान प्रसाद जी पोद्दार, जिन्हें 'भाई जी' के नाम से भी सम्बोधित किया जाता रहा है।
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर अमृत गीत तुम रचो कलानिधि
राष्ट्रकवि स्व. रामधारी सिंह दिनकर को आमतौर पर एक प्रखर राष्ट्रवादी और ओजस्वी कवि के रूप में माना जाता है, लेकिन वस्तुतः दिनकर का व्यक्तित्व बहुआयामी था। कवि के अतिरिक्त वह एक यशस्वी गद्यकार, निर्लिप्त समीक्षक, मौलिक चिन्तक, श्रेष्ठ दार्शनिक, सौम्य विचारक और सबसे बढ़कर बहुत ही संवेदनशील इन्सान भी थे।
सेतुबन्ध और श्रीरामेश्वर धाम की स्थापना
जो मनुष्य मेरे द्वारा स्थापित किए हुए इन रामेश्वर जी के दर्शन करेंगे, वे शरीर छोड़कर मेरे लोक को जाएँगे और जो गंगाजल लाकर इन पर चढ़ाएगा, वह मनुष्य तायुज्य मुक्ति पाएगा अर्थात् मेरे साथ एक हो जाएगा।
वागड़ की स्थापत्य कला में नृत्य-गणपति
प्राचीन काल से ही भारतीय शिक्षा कर्म का क्षेत्र बहुत विस्तृत रहा है। भारतीय शिक्षा में कला की शिक्षा का अपना ही महत्त्व शुक्राचार्य के अनुसार ही कलाओं के भिन्न-भिन्न नाम ही नहीं, अपितु केवल लक्षण ही कहे जा सकते हैं, क्योंकि क्रिया के पार्थक्य से ही कलाओं में भेद होता है। जैसे नृत्य कला को हाव-भाव आदि के साथ ‘गति नृत्य' भी कहा जाता है। नृत्य कला में करण, अंगहार, विभाव, भाव एवं रसों की अभिव्यक्ति की जाती है।
व्यावसायिक वास्तु के अनुसार शोरूम और दूकानें कैसी होनी चाहिए?
ऑफिस के एकदम कॉर्नर का दरवाजा हमेशा बिजनेस में नुकसान देता है। ऐसे ऑफिस में जो वर्कर काम करते हैं, तो उनको स्वास्थ्य से जुड़ी कई परेशानियाँ आती हैं।
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राजस्थान के देवी-देवताओं में बाबा रामदेव का नाम काफी विख्यात है। इनके अनुयायी राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात और सिन्ध (पाकिस्तान) आदि में बड़ी संख्या में हैं।
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