भारतीय खगोलशास्त्री वराहमिहिर
Jyotish Sagar|August 2024
वराहमिहिर ईसा की पाँचवी-छठी शताब्दी में हुए थे। वे खगोलशास्त्री के साथ गणितज्ञ भी थे। वे मगध सम्राट् चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के नवरत्नों में से एक थे। मान्यता है कि वराहमिहिर का जन्म 505 ई. में हुआ था और उनकी मृत्यु 587 ई. में हुई थी। वे अवन्तिका (उज्जैन) के निवासी थे। वे 'पंच सिद्धान्तिका' के लेखक थे। वराहमिहिर को ज्योतिष विद्या का भी अच्छा ज्ञान प्राप्त था।
डॉ. श्याम मनोहर व्यास
भारतीय खगोलशास्त्री वराहमिहिर

प्रसिद्ध गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त (558-660 ई.) एवं भास्कराचार्य प्रथम इनके समकालीन थे। वराहमिहिर ने घटयन्त्र का आविष्कार किया था, जो 60 भागों में विभाजित था। यह महाकाल (शिवलिंग) पर अहोरात्र जलाभिषेक के लिए बना था, जो एक दिन-रात में खाली हो जाता था। इन्होंने ज्योतिष विद्या और खगोल का ज्ञान अपने पिता आदित्यदास से सीखा था। इनके प्रसिद्ध ग्रन्थ 'पंचसिद्धान्तिका' में सूर्यग्रहण और चन्द्रग्रहण के वास्तविक कारण का उल्लेख भी किया है। अंकगणित वाले भाग में घनमूल, वर्गमूल, शून्य, अनन्त, समानुपात और अनुपात, ब्याज, सम-विषम संख्या आदि का वर्णन किया है।

सूर्यग्रहण एवं चन्द्रग्रहण

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