भगवान् विष्णु का अन्तिम अवतार कल्कि
Jyotish Sagar|August 2024
वर्तमान में श्रावण शुक्ल षष्ठी का ही कल्कि जयन्ती के रूप में प्रचलन है। इस दिन भगवान् कल्कि के मन्दिरों में विशेष पूजा-अर्चना होती है और भक्तगण उनकी स्तुति, मन्त्रजप, सहस्रनाम मन्त्र पाठ इत्यादि के द्वारा उन्हें प्रसन्न करते हैं।
भगवान् विष्णु का अन्तिम अवतार कल्कि

हिन्दू संस्कृति में मानव इतिहास को सत्ययुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग एवं कलियुग इन चार युगों में विभक्त किया गया है और प्रत्येक युग में भगवान् विष्णु के अवतार हुए हैं। द्वापरयुग के अन्तिम चरण में श्रीकृष्ण का अवतार हुआ, तो कलियुग के अन्तिम चरण में भगवान् कल्कि का अवतार होगा। महाभारत में वेदव्यास जी लिखते हैं कि कलियुग के अन्त में जब धर्म शिथिल हो जायेगा, उस समय भगवान् श्रीहरि पाखण्डियों के वध तथा धर्म की वृद्धि के लिए और ब्राह्मणों के हित की कामना से पुनः अवतार लेंगे। उनके उस अवतार का नाम 'कल्कि विष्णुयशा' होगा।

कल्की विष्णुयशा नाम भूयश्चोत्पत्स्यते हरिः ।

कर्युगान्ते सम्प्राप्ते धर्मे शिथिलतां गते ।।

पाखण्डिनां गणानां हि वधार्थे भरतर्षभः ।

धर्मस्य च विवृद्धयर्थं विप्राणां हितकाम्यया ।।

(सभापर्व, अध्याय 38 )

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