इस स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने जहाँ कुछ लोग इतिहास के पन्नों में अमर हो गएए तो वही असंख्य ऐसे क्रान्तिकारी भी हैं जिन्हें इतिहास के पन्नों में वह जगह नहीं मिलीए जिसके वह हकदार थे। ऐसे ही एक गुमनाम महान क्रान्तिकारियों में 'सुशीला दीदी' का नाम प्रमुख है, क्योंकि आज तक शहीद-ए-आजम भगत सिंह की कुर्बानियों के किस्से गानेवाला देश उनका हर विकट परिस्थितियों में साथ देनेवाली सुशीला देवी और दुर्गा भाभी को भूल गया है। सुशीला दीदी का जन्म ५ मार्च, १८०५ को तत्कालीन पंजाब के दत्तोचूहड़ (अब पाकिस्तान में है) में हुआ था एवं उनकी शिक्षा जालंधर के आर्य कन्या महाविद्यालय में हुई थी। देशभक्ति और क्रान्तिकारी विचारधारा से प्रभावित होने के उपरान्त वह क्रान्तिकारी दलों से जुड़ गई। अपने अध्ययन काल के दौरान ही सुशीला दीदी स्वतंत्रता आंदोलन के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए जुलूस को बुलानाए क्रान्तिकारी गतिविधियों के लिए गुप्त सूचनाओं को पहुंचाना एवं धन संग्रह करने में संलग्न हो गई। क्रान्तिकारी गतिविधियों के समर्थन में किए जा रहे कार्यों के दौरान ही उनकी भेंट भगत सिंह से हुई। भगत सिंह के जरिये उनकी भेंट भगवती चरण और उनकी पत्नी दुर्गा देवी वोहरा से हुई।
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प्रेमकृष्ण खन्ना
स्थानिक विभूतियों की कथा - २५
स्वस्थ विश्व का आधार बना 'मिलेट्स'
मिलेट्स यानी मोटा अनाज। यह हमारे स्वास्थ्य, खेतों की मिट्टी, पर्यावरण और आर्थिक समृद्धि में कितना योगदान कर सकता है, इसे इटली के रोम में खाद्य एवं कृषि संगठन के मुख्यालय में मोटे अनाजों के अन्तरराष्ट्रीय वर्ष (आईवाईओएम) के शुभारम्भ समारोह के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी के इस सन्देश से समझा जा सकता है :
जब प्राणों पर बन आयी
एक नदी के किनारे एक पेड़ था। उस पेड़ पर बन्दर रहा करते थे।
देव और असुर
बहुत पहले की बात है। तब देवता और असुर इस पृथ्वी पर आते-जाते थे।
हर्षित हो गयी वानर सेना
श्री हनुमत कथा-२१
पण्डित चन्द्र शेखर आजाद
क्रान्तिकारियों को एकजुट कर अंग्रेजी शासन की जड़ें हिलानेवाले अद्भुत योद्धा
भारत राष्ट्र के जीवन में नया अध्याय
भारत के त्रिभुजाकार नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह हर किसी को अभिभूत करनेवाला था।
समान नागरिक संहिता समय की मांग
विगत दिनों से समान नागरिक संहिता का विषय निरन्तर चर्चा में चल रहा है। यदि इस विषय पर अब भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो इसके गम्भीर परिणाम आनेवाली सन्तति और देश को भुगतना पड़ सकता है।
शिक्षा और स्वामी विवेकानन्द
\"यदि गरीब लड़का शिक्षा के मन्दिर न आ सके तो शिक्षा को ही उसके पास जाना चाहिए।\"
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
२३ जुलाई, जयन्ती पर विशेष