७५ वर्ष पहले भारत की धरती से चीतों की प्रजाति के लुप्त होने के बाद भारतीय वन्यजीव संरक्षण के इतिहास में यह पहली, अनूठी और उल्लेखनीय घटना है। यह वंशवृद्धि इसलिए भी आशा की किरण है, क्योंकि २७ मार्च, २०२३ को साशा नामक मादा की मृत्यु हो गई थी। इससे कुछ समय के लिए इस महत्त्वाकांक्षी परियोजना पर प्रश्न किए जाने लगे थे। लेकिन अब चार शावकों के जन्म के बाद उद्यान में चीतों की संख्या २३ हो गई है। इनमें १६ वयस्क हैं, जो प्रजनन में सक्षम हैं। ऐसी भी जानकारी है कि एक और मादा गर्भवती है।
गत वर्ष प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिन १७ सितम्बर को नामीबिया से लाए गए आठ चीतों को कूनो राष्ट्रीय उद्यान में एक भव्य समारोह आयोजित करके छोड़ा था । इन चीतों के यहां के जलवायु में ढलने की आशंकाएं आरम्भ से से ही उठ रही थीं, जो एक मादा चीता 'साशा' की बीमारी से मौत के बाद परिणाम में बदलती दिख रही है। वन्य प्राणी विशेषज्ञ इस मौत का कारण किडनी खराब ( रीनल फेल्योर) होना बता रहे हैं। साशा २२ जनवरी से बीमार थी। निर्जलीकरण के चलते उसे तरल भोजन दिया जा रहा था। यह तो ठीक है, लेकिन इस मौत के इतिहास में दो चौकानेवाले तथ्य सामने आए हैं। एक राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के एडीजी एस. पी. यादव का कहना है कि भारत आने से पहले ही यह चीता बीमार था। क्योंकि इसकी बीमारी सामने आने के बाद नामीबिया के चीता फाउंडेशन से इसके उपचार का इतिहास बुलाया गया। इसी से इसकी बीमारी का पता चला । १५ अगस्त, २०२२ को इसके लिए गए खून के नमूने से ज्ञात हुआ कि इसमें क्रिएटिनिन का स्तर ४०० से ज्यादा है। दूसरी जानकारी मिली कि नामिबिया में रहते हुए इसने एक प्लास्टिक की गेंद को खा लिया था। जिसे शल्य क्रिया के बाद पेट से निकाला गया।
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प्रेमकृष्ण खन्ना
स्थानिक विभूतियों की कथा - २५
स्वस्थ विश्व का आधार बना 'मिलेट्स'
मिलेट्स यानी मोटा अनाज। यह हमारे स्वास्थ्य, खेतों की मिट्टी, पर्यावरण और आर्थिक समृद्धि में कितना योगदान कर सकता है, इसे इटली के रोम में खाद्य एवं कृषि संगठन के मुख्यालय में मोटे अनाजों के अन्तरराष्ट्रीय वर्ष (आईवाईओएम) के शुभारम्भ समारोह के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी के इस सन्देश से समझा जा सकता है :
जब प्राणों पर बन आयी
एक नदी के किनारे एक पेड़ था। उस पेड़ पर बन्दर रहा करते थे।
देव और असुर
बहुत पहले की बात है। तब देवता और असुर इस पृथ्वी पर आते-जाते थे।
हर्षित हो गयी वानर सेना
श्री हनुमत कथा-२१
पण्डित चन्द्र शेखर आजाद
क्रान्तिकारियों को एकजुट कर अंग्रेजी शासन की जड़ें हिलानेवाले अद्भुत योद्धा
भारत राष्ट्र के जीवन में नया अध्याय
भारत के त्रिभुजाकार नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह हर किसी को अभिभूत करनेवाला था।
समान नागरिक संहिता समय की मांग
विगत दिनों से समान नागरिक संहिता का विषय निरन्तर चर्चा में चल रहा है। यदि इस विषय पर अब भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो इसके गम्भीर परिणाम आनेवाली सन्तति और देश को भुगतना पड़ सकता है।
शिक्षा और स्वामी विवेकानन्द
\"यदि गरीब लड़का शिक्षा के मन्दिर न आ सके तो शिक्षा को ही उसके पास जाना चाहिए।\"
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
२३ जुलाई, जयन्ती पर विशेष