रोग का कष्ट भोगते-भोगते उसका शरीर कंकाल मात्र रह गया था। बातचीत करने की शक्ति नहीं रह गई थी; गले से आवाज़ भी क्षीण निकलती थी । माँ के मन में करुणा का उद्रेक हुआ। वे बोली“हरि, तुम मेरे साथ चलो। बच्ची को लेकर बाँकुड़ा जाऊँगी। वहाँ वैकुण्ठ है; एलोपैथी का एम. बी. डॉक्टर है, लेकिन होम्योपैथी चिकित्सा करता है। उसकी बड़ी प्रसिद्धि है।"
उनकी बात के बीच में ही मैं बोल उठा - "वैकुण्ठ यानी वैकुण्ठमहाराज? स्वामी महेश्वरानन्द?"
-हाँ, हाँ। तू तो बाँकुड़ा शहर में रहता है। उसे अवश्य पहचानता होगा। - "हाँ, भलीभांति पहचानता हूँ। बाँकुड़ा मठ के महन्त है। होम्योपैथी के धन्वन्तरी हैं।"
Esta historia es de la edición Kendra Bharati - May 2023 de Kendra Bharati - केन्द्र भारती.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor ? Conectar
Esta historia es de la edición Kendra Bharati - May 2023 de Kendra Bharati - केन्द्र भारती.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor? Conectar
प्रेमकृष्ण खन्ना
स्थानिक विभूतियों की कथा - २५
स्वस्थ विश्व का आधार बना 'मिलेट्स'
मिलेट्स यानी मोटा अनाज। यह हमारे स्वास्थ्य, खेतों की मिट्टी, पर्यावरण और आर्थिक समृद्धि में कितना योगदान कर सकता है, इसे इटली के रोम में खाद्य एवं कृषि संगठन के मुख्यालय में मोटे अनाजों के अन्तरराष्ट्रीय वर्ष (आईवाईओएम) के शुभारम्भ समारोह के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी के इस सन्देश से समझा जा सकता है :
जब प्राणों पर बन आयी
एक नदी के किनारे एक पेड़ था। उस पेड़ पर बन्दर रहा करते थे।
देव और असुर
बहुत पहले की बात है। तब देवता और असुर इस पृथ्वी पर आते-जाते थे।
हर्षित हो गयी वानर सेना
श्री हनुमत कथा-२१
पण्डित चन्द्र शेखर आजाद
क्रान्तिकारियों को एकजुट कर अंग्रेजी शासन की जड़ें हिलानेवाले अद्भुत योद्धा
भारत राष्ट्र के जीवन में नया अध्याय
भारत के त्रिभुजाकार नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह हर किसी को अभिभूत करनेवाला था।
समान नागरिक संहिता समय की मांग
विगत दिनों से समान नागरिक संहिता का विषय निरन्तर चर्चा में चल रहा है। यदि इस विषय पर अब भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो इसके गम्भीर परिणाम आनेवाली सन्तति और देश को भुगतना पड़ सकता है।
शिक्षा और स्वामी विवेकानन्द
\"यदि गरीब लड़का शिक्षा के मन्दिर न आ सके तो शिक्षा को ही उसके पास जाना चाहिए।\"
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
२३ जुलाई, जयन्ती पर विशेष