अंग्रेजों के जमाने से आज तक दूरसंचार
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कुछ वर्ष पहले अर्न्स्ट एंड यंग की एक रिपोर्ट में भारतीय दूरसंचार उद्योग को एक तरह का आर्थिक चमत्कार कहा गया था। रिपोर्ट के अनुसार, एक अरब से अधिक आबादीवाली अर्थव्यवस्था को बाकी दुनिया के साथ जोड़ना देश के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिहाज से एक असामान्य उपलब्धि है।
बालेन्दु शर्मा दाधीच
अंग्रेजों के जमाने से आज तक दूरसंचार

असामान्य यानी अत्यन्त विशेष और सम्भावनाओं से भरी हुई। आज जब हम १३५ करोड़ की आबादीवाले अपने देश को देखते हैं, जिसमें लगभग १२० करोड़ मोबाइल कनेक्शन हो चुके हैं, तो समझ में आने लगता है कि हम किस किस्म की क्रान्ति से गुजर चुके हैं।

दूरसंचार के क्षेत्र में हमारी यात्रा बहुत लम्बी रही है। कौन विश्वास करेगा कि यह यात्रा लगभग १७० वर्ष पुरानी है! अंग्रेजों को दूरसंचार की ताकत बहुत पहले समझ में आ गई थी क्योंकि इतने बड़े देश पर कब्जा बनाए रखने के लिए सन्देशों के तेज आदान-प्रदान की व्यवस्था उनके लिए वरदान सिद्ध होनेवाली थी। इसीलिए उन्होंने दूरसंचार का जाल बिछाने में बड़ी तेजी दिखाई। इसकी एक मिसाल यह है कि वर्ष १८७६ में अलेक्जेंडर ग्राहम बेल द्वारा टेलीफोन का आविष्कार किए जाने के सात वर्ष के भीतर ही भारत में मुम्बई, मद्रास (चेन्नई) और कलकत्ता में टेलीफोन एक्सचेंज स्थापित कर दिए गए थे। हालांकि दूरसंचार की कहानी इससे भी पहले शुरू हो गई थी, लेकिन शुरू में उसका ताल्लुक टेलीग्राफ से था।

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