
पीपल-वृक्ष के समान वटवृक्ष भी हिन्दू धर्म का एक पूजनीय वृक्ष है। वटवृक्ष विशाल एवं अचल होता है। हमारे अनेक ऋषि-मुनियों ने इसकी छाया में बैठकर दीर्घकाल तक तपस्याएँ की हैं। यह मन में स्थिरता लाने में मदद करता है और संकल्प को अडिग बना देता है। यह स्मरणशक्ति व एकाग्रता की वृद्धि करता है। वैज्ञानिक दृष्टि से यह पृथ्वी में जल की मात्रा का करनेवाला वृक्ष स्थिरीकरण है। यह भूमिक्षरण को रोकनेवाला वृक्ष है।
शास्त्रों में महिमा
वटवृक्ष के दर्शन, स्पर्श, परिक्रमा तथा सेवा से पाप दूर होते हैं तथा दुःख, समस्याएँ एवं रोग नष्ट होते हैं। वटवृक्ष रोपने से अशेष (अपार) पुण्य - संचय होता है। वैशाख आदि पुण्यमासों में इस वृक्ष की जड़ में जल देने से पापों का नाश होता है एवं नाना प्रकार की सुख-सम्पदा प्राप्त होती है।
'घर की पूर्व दिशा में वट (बरगद ) का वृक्ष मंगलकारी माना गया है।' ( अग्नि पुराण)
‘वटवृक्ष लगाना मोक्षप्रद है।' (भविष्य पुराण)
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विरुद्ध आहार : स्वास्थ्य के लिए अदृश्य विष
जो पदार्थ रस-रक्तादि सप्तधातुओं के विरुद्ध गुणधर्मवाले व वात-पित्त-कफ इन त्रिदोषों को प्रकुपित करनेवाले हैं उनके सेवन से रोगों की उत्पत्ति होती है। इन पदार्थों में कुछ परस्पर गुणविरुद्ध, कुछ संयोगविरुद्ध, कुछ संस्कारविरुद्ध और कुछ देश, काल, मात्रा, स्वभाव आदि से विरुद्ध होते हैं।

आप राष्ट्र के भावी कर्णधार या अभिभावक हैं तो...
किसी भी राष्ट्र की प्रगति के लिए जितनी आवश्यकता शिक्षित नागरिकों की मानी जाती है उससे भी कहीं ज्यादा नैतिकता से सुसम्पन्न चरित्रवान नागरिकों की होती है और बिना आध्यात्मिकता के नैतिकता टिक ही नहीं सकती।

जब तालियों की गड़गड़ाहट के बीच रो पड़े महात्मा
एक बार किन्हीं महात्मा को कुछ लोग खूब रिझा-रिझाकर अपने गाँव में ले गये। ब्रह्मवेत्ता, आत्मसाक्षात्कारी महापुरुष आ रहे हैं यह जान के गाँववालों ने एड़ी-चोटी का जोर लगाकर उनके स्वागत की तैयारियाँ कीं। बड़ा विशाल मंच तैयार किया गया।

भगवान श्रीराम की गुणग्राही दृष्टि
जब हनुमानजी श्रीरामचन्द्रजी की सुग्रीव से मित्रता कराते हैं तब सुग्रीव अपना दुःख, अपनी असमर्थता, अपने हृदय की हर बात भगवान के सामने निष्कपट भाव से रख देता है। सुग्रीव की निखालिसता से प्रभु गद्गद हो जाते हैं । तब सुग्रीव को धीरज बँधाते हुए भगवान श्रीराम प्रतिज्ञा करते हैं :

गोरखनाथजी के तीन अनोखे सवाल
योगी गोरखनाथ अपने प्यारे शिष्य के साथ कहीं जा रहे थे। रास्ते में प्यास लगी तो कुएँ पर पानी पीने गये। खेत में ज्वार के दाने चमक रहे थे, किसान ज्वार को पानी पिला रहा था। गोरखनाथजी ने पानी पिया और किसान से पूछा : \"ज्वार खा ली है कि खानी बाकी है?\"

इसका नाम है सेवा
एक गुरु के दो शिष्य थे। एक बेटा था, एक चेला था। गुरुजी ने दोनों से कहा : \"तुम लोग एक-एक चबूतरा बनाओ। उस पर बैठकर हम भजन किया करेंगे।\"

परम पद की प्राप्ति के लिए यह बहुत जरूरी है
हमारे परम हितैषी कौन?

यदि आप आदर्श नारी बनना चाहती हैं तो...
विश्व-इतिहास में जितनी भी सभ्यताएँ हैं उनका अध्ययन करें तो स्पष्ट हो जाता है कि नारी को जो दर्जा, सम्मान भारतीय संस्कृति में दिया गया है वैसा अन्य कहीं भी नहीं दिया गया। आधुनिक युग में पाश्चात्य देशों ने नारीवाद (feminism) के सिद्धांत का प्रचार किया और नारी-स्वातंत्र्य के नाम पर नारियों को ऐसे कृत्यों की तरफ अग्रसर कर दिया जो नारियों की प्रकृति के विरुद्ध होने से उनको दुःख देते हैं और उनकी गरिमा को धूमिल कर रहे हैं।

कौन कहता है भगवान आते नहीं...
१२ अप्रैल को हनुमानजी का प्राकट्य दिवस है। पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत में आता है :

सारी बीमारियों का सबसे बड़ा इलाज
आपको यह जानकर खुशी होगी कि जब मैंने 'न्यू साइंस ऑफ हीलिंग' और 'रिटर्न टू नेचर' नाम की किताबें पढ़ीं तभी से मैं कुदरती इलाज का पक्का समर्थक हो गया था।