ब्रह्महत्या जैसे पापों व पिशाच योनि से मुक्तिदाता व्रत
Rishi Prasad Hindi|January 2024
जया एकादशी पर विशेष
ब्रह्महत्या जैसे पापों व पिशाच योनि से मुक्तिदाता व्रत

२० फरवरी को जया एकादशी है। इसका माहात्म्य व फल जानते हैं पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत से:

धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा: "भगवन्! माघ मास के शुक्ल पक्ष में कौन-सी एकादशी होती है? उसकी विधि तथा फल क्या है?"

श्रीकृष्ण ने कहा: "राजन्! इस एकादशी का नाम ‘जया’ है। करोड़ोंकरोड़ों पापों, शापों, दुःखों और पिशाच योनि जैसे कष्टों को भी जया एकादशी हर लेती है। इसका व्रत करनेवाला व्यक्ति प्रेत योनि को प्राप्त नहीं होता और उसका ब्रह्महत्या जैसा पाप भी क्षम्य हो जाता है।

Esta historia es de la edición January 2024 de Rishi Prasad Hindi.

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एक बार किन्हीं महात्मा को कुछ लोग खूब रिझा-रिझाकर अपने गाँव में ले गये। ब्रह्मवेत्ता, आत्मसाक्षात्कारी महापुरुष आ रहे हैं यह जान के गाँववालों ने एड़ी-चोटी का जोर लगाकर उनके स्वागत की तैयारियाँ कीं। बड़ा विशाल मंच तैयार किया गया।

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भगवान श्रीराम की गुणग्राही दृष्टि
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जब हनुमानजी श्रीरामचन्द्रजी की सुग्रीव से मित्रता कराते हैं तब सुग्रीव अपना दुःख, अपनी असमर्थता, अपने हृदय की हर बात भगवान के सामने निष्कपट भाव से रख देता है। सुग्रीव की निखालिसता से प्रभु गद्गद हो जाते हैं । तब सुग्रीव को धीरज बँधाते हुए भगवान श्रीराम प्रतिज्ञा करते हैं :

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