आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी (एआई) ये शब्द चौतरफा सुनाई दे रहा है, न सिर्फ सुनाई दे रहा है बल्कि हर क्षेत्र में इस्तेमाल भी किया जा रहा है। फिर वो चाहे स्वास्थ्य क्षेत्र हो, शिक्षा हो, व्यवसाय हो या फिर मनोरंजन क्षेत्र । ये एआई तकनीक उन कार्यों को खुद करने में सक्षम है जिनको करने के लिए मानव शक्ति की आवश्यकता होती है। आज मनुष्य के सामने एक ऐसी मशीन खड़ी है जो उसके ही बौद्धिक स्तर पर सोच सकती है और कार्य कर सकती है। जहां एआई तकनीक अपने कुछ परिणामों से चौंका देती है वहीं इसके कुछ परिणाम भयानक भी हैं। वो दिन दूर नहीं जब घरेलू कार्यों में भी एआई तकनीक का इस्तेमाल आम हो जाएगा। एआई क्या है, कैसे इसका जन्म हुआ, कब जन्म हुआ, कैसे ये तकनीक कार्य करती है और इसके क्या परिणाम हो सकते हैं? इन सभी सवालों के जवाब इस लेख में विस्तार से जानेंगे।
क्या है एआई
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का हिंदी में मतलब है कृत्रिम बुद्धिमत्ता। यानी इंसानों द्वारा बनाई बुद्धि। आसान भाषा में कहें तो एआई कंप्यूटर साइंस की ऐसी शाखा है जो ऐसी कंप्यूटर कंट्रोल मशीन को विकसित कर रही है जो मनुष्य की तरह कार्य कर सकती है। इसी तकनीक को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कहा जाता है। लेकिन किसी मशीन के इस तरह काम करने के लिए उसमें इंटेलिजेंस विकसित किए जाते हैं। जबकि 'मनुष्य में सोचने, समझने या किसी गतिविधि को करने के लिए विचार उनके अनुभव से विकसित होते हैं। एआई को मशीन लर्निंग भी कहा जाता है।
कौन हैं एआई के जन्मदाता
जब इंसानों ने अपनी तरह ही दिखने वाली मशीन विकसित की तो उसने अपनी ही तरह सोचने वाले दिमाग को भी जन्म देने का प्रयास शुरू किया। इस प्रयास में अमेरिकी कंप्यूटर वैज्ञानिक जॉन मैकार्थी ने सन 1956 में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस शब्द को गढ़ा । इसलिए जॉन मैकार्थी को फादर ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कहा जाता है। ऐसे में आप जानेंगे कि एआई आज से ही चर्चा में नहीं है बल्कि दशकों से एआई पर विभिन्न देशों और स्तर पर इसकी चर्चा होती रही है।
एआई के कुछ उदाहरण
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