हर साल सर्दियों की शुरुआत होते ही, उत्तर भारत के बड़े शहर, खासकर दिल्ली, एक मोटी धुंध की चादर में लिपट जाती है। यह धुंध सिर्फ ठंड का संकेत नहीं है, बल्कि यह एक खतरनाक सच का पर्दाफाश करती है। यह धुंध कुछ और नहीं, बल्कि 'स्मॉग' है, जो कि वायु प्रदूषण का वह खतरनाक मिश्रण है जो हर सांस के साथ हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक भारत के कई शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) अब खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है और यह स्थिति हर साल बढती जा रही है लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस फोग और स्मॉग में असल में अंतर क्या है?
फोग (कोहरा): यह ठंडी हवा में नमी के कारण बनने वाला प्राकृतिक कोहरा है। छोटे-छोटे जलकणों से यह बनता है, जो आमतौर पर हानिरहित होते हैं। कोहरा अक्सर सिर्फ दृश्यता में बाधा डालता है और किसी बड़ी समस्या का कारण नहीं बनता।
स्मॉग (धुआं और कोहरा): अब यह कोई साधारण कोहरा नहीं है। स्मॉग कोहरे और वायु प्रदूषण का खतरनाक मिश्रण है। यह धुएं, कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और अन्य प्रदूषकों के कारण बनता है। स्मॉग से आंखों में जलन, सांस लेने में कठिनाई और हृदय और फेफड़ों से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।
वायु प्रदूषण के पीछे की वजह
आईएमडी की रिपोर्ट के अनुसार, नवंबर और दिसंबर में प्रदूषण के स्तर में वृद्धि केवल ठंडी हवाओं का नतीजा नहीं है, बल्कि इसके पीछे कई अन्य जटिल कारण भी हैं। ये सभी कारण मिलकर हवा को अधिक जहरीला और हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरनाक बना देते हैं। आइए जानें, यह प्रदूषण आखिर क्यों और कैसे बढ़ रहा है -
पराली जलाना
हर साल अक्टूबर और नवंबर में पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान खेतों में पराली जलाते हैं। जैसे ही आग की लपटें उठती हैं, यह धुआं हवा में घुलकर दिल्ली समेत अन्य शहरों में फैल जाता है। इससे हवा में घना धुंआ भर जाता है और यह सफेद चादर एक विषैली चादर बन जाती है।
ठंड और स्थिर हवा
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