आजकल विभिन्न बीमारियों के मामले बढ़ते जा रहे हैं. ऐसीऐसी बीमारियां जिन का पहले नाम भी नहीं सुना था हो रही हैं. कोरोना महामारी ने लोगों के शरीर में कई दूसरी व्याधियों को बढ़ा दिया है. ब्लैक फंगस, व्हाइट फंगस, ब्लड क्लौटिंग जैसी समस्याएं सामने आ रही हैं जिन के इलाज में लाखों रुपयों का खर्च है. बढ़ती महंगाई के कारण आम आदमी के लिए अस्पताल का खर्च उठाना लगभग नामुमकिन सा हो गया है.
जैसेजैसे हैल्थ सैक्टर में टैक्नोलॉजी बढ़ रही है वैसेवैसे बीमारियों पर होने वाले खर्चे भी बढ़ रहे हैं. पहले डाक्टर चैक कर के, नाड़ी देख कर या छोटामोटा टैस्ट करवा कर रोगी का इलाज कर देते थे, मगर अब बुखार भी आ जाए तो तमाम तरह के ब्लडयूरिन टैस्ट लिख देते हैं. गंभीर बीमारियों में तो टैस्ट, ऐक्सरे, एमआरआई, थेरैपी जैसी महंगी चीजों से बीमार और तीमारदार को जूझना पड़ता है.
बड़ी बीमारी इंसान की सारी जमापूंजी चट कर जाती है. ऐसे में परिवार का मैडिक्लेम होना बहुत जरूरी है. मैडिक्लेम पॉलिसी मुश्किल समय में तनावमुक्त और आर्थिक रूप से सुरक्षित रहने में मदद करती है. यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिस में बीमाधारक का इलाज उन अस्पतालों में किया जाता है जो बीमा कंपनी के नैटवर्क के अंतर्गत आते हैं. इस के तहत, बीमा कंपनी क्लेम का एक हिस्सा या पूरी राशि ही अस्पताल को दे देती है और मरीज व उस के परिवार पर अचानक कोई आर्थिक बोझ नहीं पड़ता है.
सुरक्षित विकल्प
अप्रत्याशित चिकित्सा की जरूरत सामने खड़ी हो जाए तो उस पर होने वाले खर्चों की बड़ी रकम का मुकाबला करने के लिए मैडिक्लेम आज सब से सुरक्षित विकल्प है. जिस व्यक्ति ने अपना मैडिक्लेम करवा रखा है उसे किसी बीमारी या दुर्घटना के कारण अस्पताल में भरती होने पर अपनी जेब से पैसा देने की आवश्यकता नहीं रह जाती है, वह सारा खर्च मैडिक्लेम देने वाली कंपनी उठाती है.
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