परिचय: चावल-गेहूं का चक्रीकरण देश में खाद्य सुरक्षा बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। फिर भी, कृषि उत्पादन के दौरान कुछ मुद्दे सामने आ रहे हैं। एक यह है कि लंबे समय तक संरक्षण जुताई के परिणामस्वरूप उथली और कड़ी जुताई होती है। दूसरी बात यह है कि दोनों फसलों के बीच सीमित फसल चक्र अंतराल में भारी मात्रा में पराल का सफलतापूर्वक प्रबंधन करना मुश्किल है। समय के साथ इस फसल चक्र में पैदावार बढ़ी है, लेकिन रिपोर्ट बताती है कि कारक उत्पादकता घट सकती है। चावल-गेहूँ फसल प्रणाली उच्च सघनता के लिए जानी जाती है। चावल-गेहूं की फसल प्रणाली में हरा चारा आसानी से उपलब्ध है और यह बदले में बड़ी पशुधन आबादी का समर्थन करने का काम करता है। इस तरह, चावल-गेहूं का फसल चक्र खाद्य सुरक्षा का मुख्य आधार रहा है और न केवल भारत में बल्कि पूरे दक्षिण एशिया में सबसे व्यापक रूप से प्रचलित है।
धान की सीधी बिजाई नर्सरी से रोपाई के बजाये खेत में बोए गए बीजों से चावल की फसल की स्थापना की प्रक्रिया को संदर्भित करती है। प्रणाली किसानों के अनुकूल साबित हुई है लेकिन उच्च लाभ प्राप्त करने के लिए तकनीकी दृष्टिकोण में और वृद्धि की आवश्यकता है।
हालांकि, लंबे समय तक चावल और गेहूं के उत्पादन से प्राकृतिक संसाधनों (भूजल, मिट्टी) का काफी हद तक क्षरण हुआ है। इसलिए, मिट्टी से आवश्यक पोषक तत्वों के अत्याधिक दोहन के कारण चावल-गेहूं प्रणाली की स्थिरता प्रभावित होती है, भूजल स्तर में गिरावट लंबे समय तक सिस्टम अपनाने के कारण रोग/कीट का उभरनाय चावल की पोखर आदि के कारण मिट्टी में गड़बड़ी। पानी की अपर्याप्तता, चावल की खेती की जल- गहन प्रकृति और बढ़ती श्रम लागत चावल उत्पादन में जल उत्पादकता बढ़ाने के लिए वैकल्पिक प्रबंधन दृष्टिकोण की खोज को प्रेरित करती है।
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कपास विज्ञानी - डॉ. इब्रोखिम वाई. अबदूराखमोनोव
डॉ. इब्रोखिम वाई. अबदूराखमोनोव एक उजबेक विज्ञानी हैं जिनको 2013 के इंटरनेशनल कॉटन एडवाईजरी कमेटी रिसर्चर के तौर पर जाना जाता है। डॉ. इब्रोखिम वाई. अबदूराखमोनोव कोलाबोरेटर प्रोजैञ्चट डायरेञ्चटर हैं।
बिहार का सॉफ्टवेयर इंजीनियर कर रहा ड्रैगन फ्रूट की खेती
आज के अधिकांश युवा पीढ़ी के किसान अपनी पारंपरिक खेती से दूर हो रहे हैं। उसी में कुछ ऐसे किसान हैं जो स्टार्टअप के रूप में अत्याधुनिक खेती कर लाखों रुपए कमा रहे हैं।
अब मशीनें पकड़ेंगी दूध में यूरिया की मिलावट
भारत में टैक्नोलॉजी को तेजी से बढ़ाया जा रहा है जिससे आम जनता को काफी फायदा मिल रहा है। अब ज्यादा दिनों तक दूध में यूरिया की मिलावट करने वाली कंपनियां लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ नहीं कर पाएंगी। मिलावटी दूध में यूरिया का पता तरबूज के बीज से लगाने के लिए बायो इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस ढञ्ज-का ने बना लिया है।
मिट्टी जांच के लिए आईआईटी कानपूर ने बनाई मशीन
आईआईटी कानपुर ने मिट्टी की जांच के लिए एक डिवाइस विकसित किया है, जो 90 सैकेंड में मिट्टी के 12 पोषक तत्वों की जांच कर सकता है। यह उपकरण किसानों को उनकी मिट्टी की गुणवत्ता के बारे में तुरंत जानकारी प्रदान करेगा, जिससे वे अपनी फसलों को उचित पोषण दे सकते हैं।
हजार साल पुराना बीज भी हुआ अंकुरित
कृषि वैज्ञानिकों, वनस्पति विज्ञानियों और इतिहासकारों के एक अंतराष्ट्रीय दल को हजार साल पुराने बीज को उगाने में सफलता मिली है। इस बीज से फूटा अंकुर अब एक परिपक्व पेड़ में तब्दील हो चुका है। गौरतलब है कि यह बीज इजरायल की एक गुफा में पाया गया था।
दो अरब लोगों को नहीं मिल रहा पोषक तत्व
विश्व खाद्य दिवस हर साल 16 अक्टूबर को मनाया जाता है, जो वर्तमान समय की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक-भूख और खाद्य असुरक्षा की ओर ध्यान आकर्षित करता है। यह दिन भोजन की कमी और कुपोषण से जूझ रहे लाखों लोगों की दुर्दशा की ओर दुनिया भर का ध्यान आकर्षित करने का भी है, टिकाऊ कृषि, समान खाद्य वितरण और पौष्टिक भोजन तक सभी की पहुंच परम आवश्यक है।
क्या जीएम फसलें लाभकारी हैं?
जेनेटिकली मोडीफाईड फसलें (जीएम) एक बड़े विवाद का विषय रही हैं। हाल ही में मैक्सिको की सरकार ने अपनी सबसे महत्वपूर्ण फसल मक्का को जीएम से बचाने के लिए एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है।
रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि से किसानों को बड़ी राहत
केंद्र सरकार ने प्रमुख रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति की बैठक में यह फैसला लिया गया। यह बढ़ोतरी विपणन वर्ष 2025-26 के लिए सभी रबी फसलों के लिए की गई। है।
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उत्तर प्रदेश को FDI लाने में करेगा मदद IFC; कृषि, सोलर और इन्फ्रा क्षेत्रों का होगा विकास
अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (आईएफसी) उत्तर प्रदेश में कृषि क्षेत्र, सौर ऊर्जा और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए आर्थिक सहयोग करेगी। इसके अलावा आईएफसी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश लाने में भी मदद करेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में उत्तर प्रदेश सरकार और अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (आईएफसी) के बीच हुई बैठक में प्रदेश में बुनियादी ढांचे, सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) और कृषि क्षेत्र में निवेश पर विस्तृत चर्चा की गई।