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रुचि बनाएगी राह
12वीं के बाद विषय, कौशल का चयन महत्वपूर्ण होता है। शिखर तक जाने के लिए आवश्यक है कि विद्यार्थी अपनी अभिरुचि का ध्यान रखे। इस ज्ञान, कौशल को प्राप्त करने के लिए संसाधन भी छात्रवृत्तियों एवं शिक्षा ऋण के जरिए जुटाया जा सकता है
सामान्य बच्चों से आगे बढ़े दिव्यांग बच्चे
बीकानेर के मूक-बधिर विद्यालय की अध्यापिका सुनीता गुलाटी ने मूक-बधिर बच्चों को नवाचार के जरिए इस तरह गढ़ा कि ये बच्चे राष्ट्रीय स्पर्धाओं में सामान्य बच्चों को पछाड़ने की स्थिति में पहुंच गए। उन्होंने ऑनलाइन वीडियो, अतिरिक्त शिक्षण मॉड्यूल, ऑडियो पुस्तक का निर्माण कर बच्चों में रुचि जगा और उनकी योग्यता को समाज के सामने रखा
हिंदू संस्कृति के प्रबल पक्षधर
भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली के राधाकृष्णन भारतीय दर्शन, हिंदू धर्म, हिंदुत्व और विश्व बंधुत्व के प्रबल पक्षघर थे। उन्होंने ईसाइयों के देश इंग्लैंड में जाकर पादरियों की सभा में भारतीय दर्शन की श्रेष्ठता को सिद्ध कर भारत का मान बढ़ाया
कौशलयुक्त हो समग्र शिक्षा
प्राचीन काल में गुरुकुलों में 16 विषय और 64 कौशल आधारित पाठ्यक्रम पढ़ाए जाते थे। इसलिए प्रत्येक ग्रामीण समुदाय किसी न किसी प्रकार के कौशल से संपन्न था। आज सामान्य शिक्षा सफल ज्ञान आधारित करियर के लिए उत्कृष्ट आधार होते हुए भी स्नातकों को कौशल से लैस करने में विफल है। लेकिन नई शिक्षा नीति में विषय- वस्तु सिखाने के बजाय सीखने की कला एवं बुनियादी कौशलों को प्राथमिकता दी गई है
चहुंमुखी विकास, बहुमुखी मेधा
शिक्षा संपूर्ण व्यक्तित्व के पुष्पन, पल्लवन एवं परिमार्जन का आधार है। मानव को सभ्य, सुसंस्कृत और योग्य बनाने के लिए यह अपरिहार्य है कि उसे समग्र शिक्षा प्रारंभ से ही दी जाए। समग्र शिक्षा से आशय है युवाओं में शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, बौद्धिक, नैतिक, आत्मिक आदि सभी मानवीय क्षमताओं का विकास हो
शोध से ही निकलेगा समाधान
भारत जैसे विशाल देश में विभिन्न क्षेत्रों में जितने अधिक शोध होंगे, उतना ही अच्छा होगा। बीमारी, जल संचयन, तकनीक, उद्योग आदि में नए-नए प्रयोगों की बहुत आवश्यकता है। इनसे ही समस्याओं का समाधान निकलेगा
नई सरकार में हर तीसरा मंत्री दागी
बिहार में नीतीश कुमार की अगुआई वाली महागठबंधन सरकार बनने के साथ ही विवादों में घिरी है। नए मंत्रिमंडल में शामिल 33 में से 23 मंत्रियों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। राजद के सरकार में आते ही अपराधी बेखौफ
आआपा के सपने पर वज्रपात
राष्ट्रीय पार्टी बनने की महत्वाकांक्षा पाले बैठी आम आदमी पार्टी पंजाब का इस्तेमाल लॉन्चिंग पैड के तौर पर करना चाह रही है। इसके लिए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान न केवल समाचार पत्रों में ताबड़तोड़ विज्ञापन दे रहे हैं, बल्कि जिन राज्यों में चुनाव होने वाले हैं, वहां का भी दौरा कर रहे हैं। लेकिन दिल्ली में सिसौदिया के खिलाफ सीबी आई छापे के बाद पार्टी के अभियान को गहरा आघात लगा है
जाम-आम आदमी पार्टी
भ्रष्टाचार के विरुद्ध आंदोलन से उपजी पार्टी भ्रष्टाचार के दलदल में गहरे पैठ गई है। तमाम घोटालों में आम आदमी पार्टी के विभिन्न नेताओं के जेल जाने, दाग लगने के बाद अब शराब घोटाले में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया सीधे फंसे हैं। दिल्ली को धुत्त कर आम आदमी पार्टी शराब माफिया से साठगांठ किए बैठी थी। जांच बैठते ही पार्टी बैकफुट पर। एक राजनीतिक प्रयोग के सपने के टूटने की शुरुआत राजनीतिक बयानबाजी से कहीं ज्यादा बड़ी बात है
भर्ती में भ्रष्टाचार
केरल में राज्य सरकार के अधीन विवि में शैक्षिक पदों पर नियक्तियों में भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार का बोलबाला। लगातार शिकायतें आने के बाद राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने सभी विवि में नियुक्तियों की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए। इससे नियुक्तियों में लाभ पाए माकपा नेताओं-कार्यकर्ताओं में हड़कंप है
इमरान पर लटकी गिरफ्तारी की तलवार
पाकिस्तान में इमरान बुरी तरह घिर गए हैं। पंजाब असेंबली के चुनाव में जीत से उनका लहजा क्या बदला कि वे और उनके सहयोगी शहबाज गिल सरकार, सेना और न्यायपालिका के विरुद्ध कुछ ज्यादा बोल गए। गिल को गिरफ्तार कर लिया गया और इमरान पर भी मुकदमा दर्ज हो गया है। फिलहाल उनके सामने आतंकवाद निरोधी अदालत से जमानत लेने का मौका है परंतु पाकिस्तानी विशेषज्ञों का मानना है कि सितंबर के अंत तक उनका अध्याय बंद होने जा रहा
मछुआरों की आड़ विकास पर प्रहार
विदेशी इशारों पर चर्च देश में विकास विरोधी प्रपंच रचता रहा है। कुडनकुलम परमाणु संयंत्र की बात हो या फिर तूतीकोरिन का स्टरलाइट कॉपर प्लांट या अब केरल का विझिंगम पोर्ट के निर्माण का विरोध, हर बार चर्च स्थानीय लोगों की आड़ लेकर विवाद पैदा करता है
गांधी नाम भारी अब वफादारों की बारी
कांग्रेस अध्यक्ष पद पर गांधी परिवार अनिच्छा दिखा रहा है। दरअसल, गांधी नाम अब राजनीतिक सफलता की गारंटी नहीं रहा। इस बीच कई बड़े नेता अपने पदों से त्यागपत्र दे चुके हैं जिससे पार्टी सांसत में है। अब अटकलें गांधी परिवार से बाहर किसी अन्य को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की हैं। माना जा रहा है कि गांधी परिवार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के परिवारवादी राजनीति के विरोध के मुद्दे से सहमा हुआ है
हिंदू उत्सवों से हटे प्रतिबंध
उद्धव ठाकरे नीत महाविकास अघाड़ी सरकार के दौरान हिंदू उत्सवों पर लगे प्रतिबंधों को शिंदे-फडणवीस सरकार द्वारा हटाए जाने से महाराष्ट्र के हिंदू समाज में जश्न का माहौल है। इस बार 4000 से अधिक स्थानों पर दही-हांडी का आयोजन हुआ। सरकार ने भी इसे साहसिक खेल का दर्जा देते हुए गोविंदाओं को नौकरियों में आरक्षण की घोषणा की। हिंदू समाज गणेशोत्सव को पूरी धूमधाम से मनाने की तैयारी में जुटा
घुसपैठियों से घिरता भारत
देश के सीमाई राज्यों में मुसलमानों की बढ़ती आबादी चिंताजनक है। राष्ट्र की संप्रभुता पर मंडराते इस प्रत्यक्ष खतरे ने सरकार और सुरक्षा एजेंसियों की की चिंता बढ़ा दी है। इन घुसपैठियों से समय रहते निपटना जरूरी है
स्वातंत्र्य समर और स्वदेशी विज्ञान
वर्ष 1855 में बंगाल के मुर्शिदाबाद तथा बिहार के भागलपुर जिलों में अंग्रेजों के अत्याचार की शिकार पहाड़िया जनता ने एकजुट होकर उनके विरुद्ध विद्रोह का बिगुल फूंक दिया था। इसे पहाड़िया विद्रोह या पहाड़िया जगड़ा या संथाल हूल कहते हैं। पहाड़िया भाषा में 'जगड़ा' शब्द का शाब्दिक अर्थ है- 'विद्रोह'। यह अंग्रेजों के विरुद्ध प्रथम सशस्त्र जनसंग्राम था।
छटपटाहट सांस्कृतिक, संघर्ष 'स्व' का
स्वराज और स्वतंत्रता की लड़ाई 1857 से बहुत पहले शुरू हुई थी। अलग-अलग कालखंडों में देश के विभिन्न हिस्सों में ये संघर्ष औपनिवेशिक शक्तियों के विरुद्ध थे। हालांकि आंचलिक मोर्चे पर लड़ी गई लड़ाइयां 1857 की क्रांति की तरह संगठित नहीं थीं। स्वराज के लिए हर कोई अपने सामर्थ्य के अनुसार लड़ा
स्वराज के सोपान
1790-92 में पूरा मालाबार ईस्ट इंडिया कंपनी के हाथ चला गया। अंग्रेजों ने मालगुजारी बढ़ा दी । कोट्टायम के राजा केरल वर्मा थे। उन्हें 'केरल सिंहम यानी केरल का शेर भी कहा जाता था । उन्होंने 1796 में अंग्रेजों का विरोध किया और असंतुष्ट सामंतों की सेना संगठित कर अंग्रेजी सेना को पराजित किया। वर्ष 1805 में केरल वर्मा अंग्रेजों से लड़ते हुए ही बलिदान हुए।
खून के आंसू
विभाजन काल की परिस्थिति, साम्राज्यवादी शक्तियों के हित और राजनीतिक हसरतों की कहानी एक तरफ.. मगर उन लोगों से बात करना जिन पर यह आफत गुजरी, दिल दहलाने वाला है। झुर्रियों से अटे चेहरे, धुंधलाती आखें और उस घटनाक्रम को याद कर संघ जाने वाले गले... बुजुर्गों का अचानक फफककर रो पड़ना दबाए गए इतिहास का बांध टूट जाने जैसा है।
विभाजन आहट आह आस और अटटहास
दांव पर था क्या कुछ और कैसी थी विभाजन की बिसात? निष्ठुरता से मुस्कुराते ब्रिटिश प्रधानमंत्री चर्चिल के मन में क्या पल रहा था ? कैसे अंग्रेजी हुकूमत की कथित शह पर कांग्रेस के नेताओं द्वारा देश को बहकावे में रखा गया और अंततः अनगिनत लाशों पर भारत का बंटवारा हुआ। किस प्रकार संघ के स्वयंसेवकों ने आहत हिन्दू समाज की हर प्रकार से सहायता की।
1947 : टिस और सीख
भारतीय स्वतंत्रता की कहानी और अंततः मातृभूमि का विभाजन यानी हिन्दू नर संहार का वह सबसे बड़ा मुकदमा जिसकी सुनवाई तो छोड़िए, जिसे इतिहास में ठीक से दर्ज भी नहीं किया गया । पाञ्चजन्य का यह विशेषांक केवल वर्तमान की घटनाओं से प्रेरित नहीं है। यह 1947 में हुए विभाजन की विभीषिका में झांकने का अवसर देने वाली दरार है, जो न केवल अतीत का स्पष्ट झलक देती है, बल्कि इस निरंतर प्रक्रिया के बारे में चेतावनी भी देती है।
सशक्त भारत के लिए पांच प्रण
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र के नाम संबोधन में भ्रष्टाचार और भाईभतीजावाद पर चोट करते हुए इसे देश के लिए एक बड़ी समस्या बताया। स्टार्ट अप और इनोवेशन के दौर में उन्होंने जय जवान, जय किसान और जय विज्ञान में 'जय अनुसंधान' जोड़ते हुए नया नारा दिया। प्रधानमंत्री ने साफ कहा कि नारी का हर हाल में सम्मान जरूरी है। साथ ही, विकसित भारत के अगले 25 साल का खाका पेश करते हुए उन्होंने देशवासियों से पांच प्रण लेने को कहा। प्रस्तुत है प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन के अंश-
कोमल सी त्वचा या कैंसर की सजा!
एक जमाने में टेलीविजन पर जॉनसन एंड जॉनसन के विज्ञापनों को देखकर लोग उसका ‘बेबी पाउडर’ खूब खरीदा करते थे। लेकिन जांच ने बताया कि उसमें कैंसर के तत्व मौजूद हैं। अमेरिका में कंपनी पर हुए सैकड़ों मुकदमे
राष्ट्र गौरव का अमृत पर्व
दशकों के संघर्ष और सैकड़ों क्रांतिकारियों के शौर्य के सुफल से हमें 15 अगस्त, 1947 को अपने देश के बड़े भू-भाग पर अपनी इच्छानुसार शासन और अन्य व्यवस्थाएं स्थापित करने का अधिकार प्राप्त हुआ। इसलिए स्वतंत्रता प्राप्ति के 75 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में हम सबमें दिखने वाला उत्साह, देश में उत्सव जैसा वातावरण, अत्यंत स्वाभाविक व उचित ही है
आहार है निरोग रहने का आधार
अपने खान-पान को संतुलित रखकर हम अपनी स्वास्थ्य संबंधी बहुत-सी समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं। इसका ज्ञान हमारे पास है। जरूरत है बस उसके पन्नों पर पड़ी धूल को झाड़ने की
ऐतिहासिक पड़ाव की ओर राष्ट्र की यात्रा
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर अपने संदेश में भारत की स्वतंत्रता के लिए सर्वस्व बलिदान करने वाले सेनानियों को नमन करते हुए भारत की एक राष्ट्र के रूप में यात्रा को एक ऐतिहासिक पड़ाव की ओर अग्रसर बताया। उन्होंने हर क्षेत्र में भारत के निरंतर आगे बढ़ने के लिए भारतीय जीवन मूल्यों को आधार बताया और देशवासियों से एक महान भारत के निर्माण में जुट जाने का संकल्प लेने का आह्वान किया। प्रस्तुत है राष्ट्रपति के संदेश का मूल पाठ
स्वावलंबन से होगा सशक्तिकरण
हमारी स्वाधीनता को 75 वर्ष पूर्ण हुए हैं। हमें विचार करना होगा कि स्वाधीनता के शताब्दी वर्ष तक हमारे लक्ष्य क्या होंगे? भारतीय समाज और एक राष्ट्र के रूप में हमें कई आंतरिक और बाह्य संकटों का न केवल सामना करना है, अपितु उसका समाधान भी ढूंढना है। भारत को अभी भी समरसता के लिए और प्रयास करने होंगे क्योंकि समाज जितना समरस होगा, उतना सशक्त होगा।
थायरॉयड से बचाए आहार एवं योग
हृदय रोग और मधुमेह के बाद भारत में अगर कोई रोग सबसे ज्यादा होता है तो वह है थायरॉयड । पुरुषों की तुलना में महिलाओं को थायरॉयड का खतरा अधिक होता है, खासकर गर्भावस्था या रजोनिवृत्ति के बाद इस बीमारी से बचने और राहत पाने के लिए आहार में बदलाव और योग का सहारा भी लिया जा सकता है
सेहत की दुश्मन न बने तकनीक
आज तकनीक पूरी तरह जीवन पर हावी है। स्मार्टफोन केवल संवाद का माध्यम नहीं रहा. बल्कि इसमें मनोरंजन से लेकर जरूरत की हर चीज मौजूद है। लेकिन इसके अत्यधिक प्रयोग से शरीर पर घातक प्रभाव पड़ रहे
कहां दुबक गया सेकुलर अमला!
न्यूयार्क में मशहूर लेखक सलमान रुश्दी पर हुए जिहादी हमले के विरुद्ध किसी सेकुलर पत्रकार की कलम नहीं चली, मजहबी उन्माद को कोसते संपादकीय भी नहीं दिखे। क्यों? इसके कारण की तह में जाना जरूरी है