रमन पढ़ाई में बहुत अच्छा था. उस के अंदर के संवेदनशीलता और समझ कूटकूट कर भरी थी. वह चीजों को बारीकी से समझने का प्रयास करता था. उस के घर से कुछ दूरी पर एक झोपड़ी थी, जिस में एक मजदूर परिवार रहता था. रमन रोज स्कूल जाते समय उन को देखता था. वहां एक छोटी बच्ची भी थी, जिस की उम्र लगभग 5-6 वर्ष के आसपास थी जो बहुत ज्यादा कमजोर थी. वह दिन भर झोपड़ी के बाहर ही बैठी रहती थी.
"मां, वह बच्ची इतनी कमजोर क्यों है? क्या वह स्कूल नहीं जाती? मैं तो हमेशा उसे उस के घर के बाहर ही देखता हूं," एक दिन स्कूल जाते हुए रमन ने अपनी मां से पूछा.
मां ने रमन के प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा, "बेटा, वह किसी मजदूर की बेटी है. वह शायद कुपोषण का शिकार है. उसे पर्याप्त आहार नहीं मिल पाता होगा. इसीलिए उस की ऐसी हालत है. शायद वह स्कूल भी नहीं जाती. इसीलिए वह हमेशा झोपड़ी के बाहर बैठी दिखाई देती है."
"स्कूल जाना तो अच्छी बात है. उसे स्कूल जाना चाहिए है, न?" रमन ने पूछा.
"तुम ठीक कहते हो बेटा. लेकिन उस के मातापिता उसे स्कूल नहीं भेजते. यह उन की जिम्मेदारी है कि उसे स्कूल भेजें," मां ने कहा.
"क्या हम उस की कोई मदद नहीं कर सकते?"
"बाद में देखेंगे क्या मदद कर सकते हैं. अभी चलो, स्कूल के लिए देर हो रही है."
मां और रमन स्कूल की ओर चल पड़े. मां ने रमन को स्कूल के गेट पर छोड़ दिया. वहां उसे उस का दोस्त अमन मिल गया. वे दोनों क्लास की ओर जाने लगे.
स्कूल में कुछ तैयारियां चल रही थीं. स्कूल की साफसफाई हो रही थी.
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बर्फीला रोमांच
\"अरे, सुन, जल्दी से मुझे दूसरा कंबल दे दे. आज बहुत ठंड है,” मीकू चूहे ने अपने रूममेट चीकू खरगोश से कहा.
अलग सोच
\"वह यहां क्या कर रहा है?\" अक्षरा ने तनुषा कुमारी, जबकि वह आधी अधूरी मुद्रा में खड़ी थी या जैसे उन की भरतनाट्यम टीचर गायत्री कहती थीं, अरामंडी में खुद को संतुलित कर रही थी.
दादाजी के जोरदार खर्राटे
मीशा और उस की छोटी बहन ईशा सर्दियों की छुट्टी में अपने दादादादी से मिलने गए थे. उन्होंने दादी को बगीचे में टमाटरों को देखभाल करते हुए देखा. उन के साथ उन की बूढ़ी बिल्ली की भी थी. टमाटरों के पौधों को तैयार करना था ताकि वे अगली गर्मियों में खिलें और फल दें.
कौन कर रहा था, मिस्टर चिल्स से खिलवाड़
वीर और उस के दोस्त अपनी सर्दियों की यात्रा के लिए दिन गिन रहे थे. वे नैनीताल जा रहे थे और बर्फ में खेलने और उस के बाद अंगीठी के पास बैठने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. आखिरकार जब वे नैनीताल पहुंचे, तो पहाड़ी शहर उन की कल्पना से भी ज्यादा मनमोहक था. बर्फ से जमीन ढक रखी थी. झील बर्फ की पतली परत से चमक रही थी और हवा में ताजे पाइन की खुशबू आ रही थी. यह एक बर्फीली दुनिया का दृश्य था, जो जीवंत हो उठा था.
मेरा संकल्प
जनवरी 2025 का पहला सप्ताह शुरू हो चुका था और 10 वर्षीय रोहन ने कोई संकल्प नहीं लिया था. वह जहां भी गया, स्कूल में, खेल के मैदान में और आसपड़ोस में सब जगह लोग नए साल के संकल्पों के बारे में बात कर रहे थे. रोहन भी एक महत्त्वपूर्ण और सार्थक संकल्प लेना चाहता था, लेकिन वह उलझन में था. वह एक ऐसा संकल्प लेना चाहता था, जो उस के लिए अच्छा हो और जिसे वह पूरे साल आसानी से पूरा कर सके.
सेल्वी का सरप्राइज
'चाय काप्पिई, चाय काप्पिई,' 'इडली वड़े, इडली वड़े,' बेचने वालों की तेज आवाज ने सेल्वी को जगा दिया. सूरज ढल चुका था और उस की ट्रेन अभी अभी तिरुनेलवेली जंक्शन में दाखिल हुई थी.
नौर्थ पोल की सैर
\"अंतरा, तुम कई घंटों से क्रिसमस ट्री सजा रही हो, क्या तुम थकी नहीं,\" मां ने किचन में काम निबटाने के बाद कहा...
जलेबी उत्सव
चंपकवन के राजा शेरसिंह को कार चलाने का बड़ा शौक था. जाड़े की एक शाम को वह अकेले ही लंबी ड्राइव पर निकल पड़ा...
मिशन सांता क्लौज
यह एक ठंडी, बर्फीली रात थी और शिमला की सभी सड़कें रोशनी में जगमगा रही थीं. करण, परी और समीर क्रिसमस मनाने के लिए उत्साहित थे. हर साल की तरह वे क्रिसमस के मौके पर समीर के घर सोने जा रहे थे, लेकिन इस साल उन्होंने क्रिसमस की पूर्व संध्या पर एक अतिरिक्त कार्यक्रम की योजना बनाई थी...
अनोखा क्रिसमस
\"क्या तुम्हें मालूम है कि क्रिसमस आ ही वाला है?\" ब्राउनी सियार ने अपने दोस्त ब्रूटस भेड़िया से झल्लाते हुए पूछा...