“हां, जंपी, मुझे भी ऐसा लगता है कि चंपकवन का सारा आकर्षण खो गया है? अब न कोयल कूंकती है न मोर नाचता दिखता है.”
“नाचगाना तो दूर जब से स्मार्टफोन आया है सब जानवरों ने एकदूसरे से बोलनाबतियाना और चैट करना भी छोड़ दिया है.”
“तुम सही कहते हो जंपी, मैं अपने बेटे शेरू को शिकार करना सिखाना चाहता हूं पर उस की नजर स्मार्टफोन से नहीं हटती.”
“महाराज, कल मैं ने मोमो बंदर को सूखी घास उखाड़ने को कहा, 5 मिनट काम करने के बाद उस ने मोबाइल निकाला और एक सेल्फी खींच कर फेसबुक पर पोस्ट कर दी और लिखा, 'फीलिंगगुड.' उस के बाद उस ने काम नहीं किया, बस स्मार्टफोन और आने वाले कमैंट का इंतजार करने लगा.
“अच्छा, कोको, बिल्ली और वूफी भेड़िया कलक् लड़ रहे थे?” शेरसिंह ने पूछा.
जंपी ने बताया, “क्योंकि वूफी, कोको के स्टेटस को लाइक और कमैंट नहीं करती है, इसलिए महाराज.”
“अच्छा, मैं ने सुना है कि पेप्पी मोर के घर में चोरी हुई है?” शेरसिंह ने ने पूछा.
“उन्होंने आनंदवन का दौरा किया और वहां की कुछ तसवीरें सोशल मीडिया पर अपलोड कर दीं. चोरों को पता चल गया कि वह घर पर नहीं है, बस फिर उस के घर को लूट लिया.”
“ओह, यह दुर्भाग्यपूर्ण है... पेप्पी कैसी है?”
“वह अभी भी अपने फोन से चिपका है.”
शेरसिंह और जंपी की बातों को वहां पास ही पत्तियों को खाते गीगी जिराफ ने सुना तो वह बोला, “महाराज, पहले मैं अपनी लंबी गरदन उठा कर जानवरों के करतब देख कर अपना मनोरंजन करता था. अब सब सिर झुकाए अपने मोबाइल में व्यस्त रहते हैं.”
“मोबाइल की वजह से अब सब आलसी और लापरवाह होते जा रहे हैं.”
गीगी ने आगे कहा, “कल ही मैं ने चीकू खरगोश को अपने मोबाइल को देखते हुए टहलते देखा. उस ने ध्यान नहीं दिया और गड्ढे में गिर गया.”
“अरे, फिर?”
“महाराज, जब मैं ने उसे बाहर निकाला तो वह खुद से ज्यादा अपने मोबाइल के टूटने से दुखी था. आज वह बाजार से अपने लिए नया मोबाइल ले आया है.”
“कुछ करना पड़ेगा,” शेरसिंह ने कहा.
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