“लेकिन मैडम, 'संविधान' होता क्या है, हमें तो यही नहीं पता?” जंपी बंदर ने पूछा.
“देखो बच्चो, आज हम अपनी कक्षा का संविधान बनाएंगे. इस में मुझे कुछ नहीं करना है, जो कुछ करना है, वह आप को करना है," मिस डेला बोली.
यह बात सुन कर सब बच्चे हैरानी से एकदूसरे का मुंह देखने लगे. जैसे एकदूसरे से पूछ रहे हों कि उन्हें करना क्या है?
बच्चों के ऐसे चेहरे देख कर डेला बोली, "बच्चो, चिंता मत करो. बस, तुम्हें अपनी कक्षा के लिए कुछ ऐसे नियम बनाने हैं जिस से तुम्हारी क्लास सही ढंग से चल सके."
“यह तो बहुत आसान है. मैं तो ऐसे कई नियम बना सकता हूं, जैसे..."
“अरे, चीकू खरगोश, रुको तो. नियमों को लिखने वाला भी तो कोई होना चाहिए. बताओ, कौन लिखेगा, ये नियम?” डेला ने पूछा.
"मैडम, ब्लैकी भालू बहुत सुंदर लिखता है. यह काम तो उसी को सौंपा जाना चाहिए,” सैली गिलहरी ने सुझाव दिया.
"सैली, तुम सही कहती हो. यह जिम्मेदारी ब्लैकी को ही दी जाती है,” डेला सहमत हुई.
बच्चे जल्दी में थे. हर कोई कक्षा के संविधान बनवाने में अपना योगदान देना चाहता था. यह उन के लिए एक रचनात्मक खेल हो गया था.
चीकू ने कहा, "मैडम, सब से पहला नियम तो यह होना चाहिए कि कक्षा में अनुशासन बना रहे.. अनुशासन तोड़ने वाले को नियमानुसार सजा मिलनी चाहिए.”
“अरे बच्चो, क्या आप सब चीकू की बात से सहमत हैं?” डेला ने पूछा.
"जी मैडम,” सब बच्चों ने एकसाथ जवाब दिया.
“तो यह तुम्हारी कक्षा के संविधान का पहला नियम है,” डेला ने घोषणा की.
तभी जंपी बोला, "मैडम, किसी को भी कक्षा में गंदगी नहीं फैलानी चाहिए."
"मैडम, यदि कोई बच्चा गंदगी फैलाए तो उस के लिए कोई सजा तो होनी ही चाहिए, नहीं तो उस की गंदगी फैलाने की आदत ही बन जाएगी," सैली ने सुझाव.
“बिलकुल सही कहा सैली तुम ने, गंदगी फैलाने वाले उस छात्र से पूरी कक्षा में सफाई करवानी चाहिए,” जंपी ने कहा.
“बच्चो, क्या आप जंपी की इस बात से सहमत हैं कि उस छात्र से पूरी कक्षा की सफाई करवानी चाहिए?” डेला ने पूछा.
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