“शुभ प्रभात बच्चो,” मिसेज कपूर ने आते ही अपने विद्यार्थियों को शुभकामनाएं दीं और फिर कहा, “जानते हो बच्चो, आज बहुत ही महत्त्वपूर्ण दिन, संविधान दिवस है.
बच्चे एकदूसरे को हैरानी भरी नजरों से देखने लगे. “संविधान दिवस? यह क्या है, मैडम?” जिज्ञासु छात्रों में से एक रोहन ने पूछा.
मुसकराते हुए, मिसेज कपूर ने समझाना शुरू किया, “संविधान दिवस उस दिन का सम्मान करने के लिए मनाया जाता है जिस दिन हमारे देश ने अपना संविधान अपनाया था, जो हमारे देश को मार्गदर्शन करने वाली नियम पुस्तिका की तरह है. यह न्याय व स्वतंत्रता के मूल्यों को याद करने का दिन है. हमारा संविधान नागरिकों को समानता और भाईचारे का संदेश देता है. संविधान में लिखे नियमों का अनुसरण करने से देश का प्रबंध सुचारु रूप से चलता है."
मिसेस कपूर की बात सुन कर बच्चे उत्सुक हो गए. संविधान में उन की रुचि बढ़ गई. वे संविधान के बारे में और भी बहुत कुछ जानना चाहते थे कि हमारे संविधान में क्याक्या है? यह कैसे काम करता है? इसे किस ने बनाया? उन के मन में कई प्रश्न उठ रहे थे.
मिसेज कपूर ने आगे कहा, "मैं तुम्हें संविधान के बारे में सब बताऊंगी परंतु उस से पहले आज हम एक एक्टिविटी करेंगे जिस का नाम है, संविधान निर्माण कार्यशाला. इस में हम अपना खुद के स्कूल का संविधान बनाएंगे. यह संविधान प्रत्येक कक्षा में लागू होगा तथा कक्षा की व्यवस्था बनाए रखने के लिए हमारा मार्गदर्शन करेगा, ठीक उसी तरह जैसे हमारे देश का संविधान हमारा मार्गदर्शन करता है. यह नियमों का एक सेट होगा, जिन्हें हम सभी अपनी कक्षा को एक बेहतर स्थान बनाने के लिए मानेंगे. जो बच्चे इस एक्टिविटी में भाग लेना चाहते हैं, वे अपना हाथ ऊपर उठाएं."
बच्चों की उत्सुकता और भी बढ़ गई. एक्टिविटी में भाग लेने को उत्सुक बच्चों ने जल्दी से अपना हाथ ऊपर उठाया और फिर मैडम के निर्देशानुसार वे एक घेरे में बैठ गए. मिसेज कपूर ने गिना, कुल 15 बच्चे थे.
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बर्फीला रोमांच
\"अरे, सुन, जल्दी से मुझे दूसरा कंबल दे दे. आज बहुत ठंड है,” मीकू चूहे ने अपने रूममेट चीकू खरगोश से कहा.
अलग सोच
\"वह यहां क्या कर रहा है?\" अक्षरा ने तनुषा कुमारी, जबकि वह आधी अधूरी मुद्रा में खड़ी थी या जैसे उन की भरतनाट्यम टीचर गायत्री कहती थीं, अरामंडी में खुद को संतुलित कर रही थी.
दादाजी के जोरदार खर्राटे
मीशा और उस की छोटी बहन ईशा सर्दियों की छुट्टी में अपने दादादादी से मिलने गए थे. उन्होंने दादी को बगीचे में टमाटरों को देखभाल करते हुए देखा. उन के साथ उन की बूढ़ी बिल्ली की भी थी. टमाटरों के पौधों को तैयार करना था ताकि वे अगली गर्मियों में खिलें और फल दें.
कौन कर रहा था, मिस्टर चिल्स से खिलवाड़
वीर और उस के दोस्त अपनी सर्दियों की यात्रा के लिए दिन गिन रहे थे. वे नैनीताल जा रहे थे और बर्फ में खेलने और उस के बाद अंगीठी के पास बैठने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. आखिरकार जब वे नैनीताल पहुंचे, तो पहाड़ी शहर उन की कल्पना से भी ज्यादा मनमोहक था. बर्फ से जमीन ढक रखी थी. झील बर्फ की पतली परत से चमक रही थी और हवा में ताजे पाइन की खुशबू आ रही थी. यह एक बर्फीली दुनिया का दृश्य था, जो जीवंत हो उठा था.
मेरा संकल्प
जनवरी 2025 का पहला सप्ताह शुरू हो चुका था और 10 वर्षीय रोहन ने कोई संकल्प नहीं लिया था. वह जहां भी गया, स्कूल में, खेल के मैदान में और आसपड़ोस में सब जगह लोग नए साल के संकल्पों के बारे में बात कर रहे थे. रोहन भी एक महत्त्वपूर्ण और सार्थक संकल्प लेना चाहता था, लेकिन वह उलझन में था. वह एक ऐसा संकल्प लेना चाहता था, जो उस के लिए अच्छा हो और जिसे वह पूरे साल आसानी से पूरा कर सके.
सेल्वी का सरप्राइज
'चाय काप्पिई, चाय काप्पिई,' 'इडली वड़े, इडली वड़े,' बेचने वालों की तेज आवाज ने सेल्वी को जगा दिया. सूरज ढल चुका था और उस की ट्रेन अभी अभी तिरुनेलवेली जंक्शन में दाखिल हुई थी.
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अनोखा क्रिसमस
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