"वंदना, मेरा जी चाहता है कि मैं इन नीलीनीली झील सी गहरी आंखों में डूब जाऊं." अमर ज्योति डे अपनी प्रेमिका वंदना कलिता के खूबसूरत मुखड़े को निहारते हुए आशिकाना अंदाज में बोला.
"डूब जाओ, मना किस ने किया है." मिश्री सी मीठी आवाज में वंदना कलिता ने कहा, "कब से प्यासी मैं तुम्हारी बांहों में झूलने के लिए बेताब खड़ी हूं और तुम हो..."
"तो ठीक है," कहते हुए अमर ने उसे किस कर लिया. वंदना ने भी उस के गाल पर किस कर दिया. तभी अमर ने कहा, "वंदना, तुम्हें देख कर तो ऐसा लग रहा है, जैसे कोई खिलता कमल हो."
"क्या बात है जनाब, आज तो बड़े शायराना मूड में हैं आप. तारीफ पर तारीफ ही किए जा रहे हैं."
"तुम हो ही इतनी खूबसूरत कि कोई भी तुम्हारी तारीफ किए बिना नहीं रह सकता."
"सच ऽऽ"
"बेशक, तुम खूबसूरती की मिसाल हो."
"तुम्हारी जुबान से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुन कर मेरा दिल बागबाग हो उठा. जी चाहता है कि तुम ऐसे ही मेरे कसीदे गढ़ते रहो और मैं तुम्हारी बाहों के झूलों में ऐसे ही झूलती रहूं. अमर, तुम कितने अच्छे हो."
"तुम भी बहुत अच्छी हो वंदना," कह कर अमर ज्योति ने वंदना को अपनी मजबूत बाहों में कस कर भर लिया तो वंदना भी उसे अपनी बाहों भर कर प्यार करने लगी.
क्षण भर बाद वंदना अमर की बाहों से आजाद हुई तो आगे बोली, "अब तुम से अलगाव मुझे बरदाश्त नहीं होता अमर. कब तक हम यूं ही छिपछिप कर मिलते रहेंगे. हम शादी क्यों नहीं कर लेते ?"
"हम शादी भी करेंगे और साथसाथ रहेंगे भी. बस थोड़ा और वक्त दे दो ताकि मां से अपने प्यार वाली बातें बता कर उन्हें शादी के लिए राजी कर सकूं. तुम तो जानती ही हो कि मां के अलावा दुनिया में मेरा कोई नहीं है. पापा बहुत पहले ही हमें छोड़ कर हमेशाहमेशा के लिए चले गए. मां ने ही बाप बन कर हमें पालापोसा. अगर उन की मरजी के बिना हम ने शादी कर ली तो उन्हें बहुत दुख होगा. क्या हम अपने वैवाहिक जीवन का सुख भोग पाएंगे, तुम बताओ क्या मैं ने कुछ गलत कहा?"
"सो तो ठीक है, तुम सच कहते हो अमर, मांबाप के आशीर्वाद के बिना हमारी शादी या हमारी गृहस्थी सफल नहीं हो सकती. अच्छा यह बताओ कि हम शादी कब करेंगे?" वंदना कलिता ने फिर से सवाल किया.
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