सब कुछ तैयार हो गया था. सभी ने कईकई बार सेंटर की रेकी भी कर ली. यह सब करने में लियोनार्डो को 3 साल लग गए. इस बीच लियोनार्डो ने कहीं कुछ नहीं किया था. केवल चोरी करने के तरीके पर इन्वेस्ट किया था और चोरी की तैयारी की थी. सारी तैयारी पूरी हो गई थी. अब बाकी था, दुनिया की सब से बड़ी डायमंड की चोरी करना.
इस सेंटर में जो सिक्युरिटी गार्ड थे, वे यहूदी थे. वे सभी शाम के समय अपनी धार्मिक प्रार्थना करते थे. यह उन की धार्मिक प्रार्थना थी. इस के अलावा शनिवार और रविवार को यहां गार्ड कम होते थे. इस की वजह यह थी कि डायमंड सेंटर का सिक्युरिटी सिस्टम इतना मजबूत था कि किसी को जरा भी भ्रम नहीं था कि यहां कभी चोरी भी हो सकती है. इसलिए सभी बेफिक्र रहते थे.
इसी का लाभ उठाते हुए लियोनार्डो ने शनिवार का दिन चुना और समय वो चुना, जब सेंटर के गार्ड प्रार्थना करते थे.
यह एक ऐसे चोर की कहानी है, जिस ने सदी की सब से बड़ी हीरे और गोल्ड की चोरी की थी, वह भी फुलप्रूफ योजना बना कर. यह एक ऐसा चोर था, जिस की बात ही कुछ अलग थी. इटली का रहने वाला यह चोर जब बच्चा था, यानी मुश्किल से 4 साल का रहा होगा, तभी एक दुकान में कुछ सामान लेने गया था. संयोग से उस समय दुकानदार को नींद आ गई थी. इसी उम्र में इस ने दुकान का पूरा गल्ला साफ कर दिया था. लौट कर वह घर आया तो मां ने डांटा, पर मां की इस डांट का उस पर कोई फर्क नहीं पड़ा था. स्कूल पहुंचा तो साथियों के पैसे चुराने लगा और कालेज में गया तो टीचरों की जेबें खाली करने लगा. इस की वजह यह थी कि उसे चोरी करने में मजा आता था यानी उसे चोरी करने की लत लग गई थी.
एक दिन वह एक ज्वैलरी की 'दुकान' के सामने से गुजर रहा था तो दुकान में सजे गहनों को देख कर उस का जी ललचा उठा. उसे लगा कि ये रुपए पैसे की चोरी बेकार की चीज है. इस में कुछ नहीं रखा. अगर चोरी ह करनी है तो गहनों की चोरी की जाए, जिस में माल हाथ लगा तो एक ही बार में मोटी कमाई हो जाएगी. इस के बाद वह इटली के अलगअलग शहरों में जाने लगा. वहां जा कर वह सब से पहले शहर की अच्छी से अच्छी दुकान की तलाश करता. फिर दुकान के पास किसी गेस्टहाउस में ठहर जाता.
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