विशेषज्ञों के अनुसार, काम को पूरा करने का दबाव दिमाग पर इतना हावी रहता है कि आप चाहकर भी तनावमुक्त नहीं हो पाती हैं और चिंताग्रस्त हो जाती हैं।
आंख खुलते ही सौम्या हड़बड़ाकर उठी और एकदम से बड़बड़ाते हुए बाथरूम की तरफ भागी, "आज भी समय पर आंख नहीं खुली। साढ़े आठ बज गए!"
सौम्या के पति क्षितिज ने शांत करते हुए कहा, "रोज-रोज ऐसी हड़बड़ाहट ठीक नहीं, सौम्या।"
इस पर सौम्या चिड़चिड़ाते हुए बोली, "आज तो मेरी सुबह-सुबह ऑफिस में मीटिंग भी है और मुझे शिवी के स्कूल पीटीएम में भी जाना है। परेशान हो गई हूं रोज-रोज की इस आपाधापी से!" इसी बात पर पति-पत्नी में थोड़ी नोक-झोंक भी हो गई। सौम्या गुस्से से बोली, "एक तो देर हो गई, ऊपर से समझने की जगह उपदेश दे रहे हो। यह नहीं कि स्कूल तुम चले जाओ।" फिर जैसे ही सौम्या, शिवी के स्कूल पहुंची, वहां उसकी मुलाकात अपने स्कूल की सहेली से हुई, जो अब एक मनोवैज्ञानिक है। बातों-बातों में सौम्या की परेशानी पता लगने पर उसने सौम्या को कुछ बातें समझाईं, जिनको जानना आपके लिए भी बेहद जरूरी है।
कैसे करें प्रैक्टिस?
शिखा ने जब वेकफुल रेस्ट तकनीक के बारे में सुना तो उसने इस पर भरोसा न कर हंसते हुए कहा, "भला इससे क्या फायद!" तब उसकी छोटी बहन ने बताया, "इस तकनीक को अपनाने से आपका मन-मस्तिष्क स्वस्थ रहता है। एक बार करके तो देखो। "शिखा ने वेकफुल रेस्ट करने के तरीके और फायदे के बारे में जानना चाहा। एक्सपर्ट ने शिखा को समझाया, "वेकफुल रेस्ट तकनीक आपको किसी भी तरह के तनाव को दूर भगाने में फायदेमंद हो सकती है। बस, इसे करते वक्त आप अपना मन और दिमाग शांत रखें। इसे करते समय किसी भी प्रकार के नकारात्मक ख्याल से आप दूर रहें, जो आप पर पूरे दिन हावी रहते हैं। इसे करना आसान है। आप कहीं भी क्यों न हों, आसानी से इस तकनीक को अपना सकती हैं और आपको कुछ ही दिनों में अपनी हड़बड़ाहट और चिंता में फर्क महसूस होगा। रही बात इसको कैसे करना है तो यह भी आपके लिए जानना काफी जरूरी है।
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11 धार्मिक कॉरीडोर का नगर प्रयागराज
सनातन संस्कृति के उद्भव और विकास की साक्षी प्रयागराज नगरी में तीन पवित्र नदियों की संगम स्थली है तो सृष्टि रचना की कामना के साथ पहला यज्ञ भी यहीं हुआ था। यहां शक्तिपीठ है तो अनादिकाल से अक्षयवट भी है। ऐसे ही अगाध आस्था तथा आध्यत्मिक / सांस्कृतिक महत्व के पुरातन स्थलों का राज्य सरकार द्वारा सौंदर्यीकरण कराया गया है। प्रयागराज एक मात्र ऐसा नगर हैं, जहां 11 धार्मिक कॉरीडोर हैं।
डिजिटल महाकुम्भ अनुभव केंद्र
डिजिटल महाकुम्भ की परिकल्पना को साकार करते हुए इस बार मेला क्षेत्र के सेक्टर तीन में स्थापित 'डिजिटल महाकुम्भ अनुभव केंद्र' आकर्षण का केंद्र है।
स्वस्थ महाकुम्भ
कड़ाके की ठंड के बीच महाकुम्भ में संगम स्नान की अभिलाषा रखने वाले प्रयागराज आ रहे श्रद्धालुओं, संत-महात्माओं, कल्पवासियों और पर्यटकों की स्वास्थ्य सुरक्षा के भी इंतजाम किये गए हैं।
सर्वसुविधायुक्त टेंट सिटी
ठंड में महाकुम्भ में आने वाले हर किसी व्यक्ति की पहली चिंता आवासीय प्रबंध को लेकर होती थी, लेकिन महाकुम्भ 2025 में हर आय वर्ग के लोगों के रहने, खाने-पीने के सुविधाजनक प्रबंध किए गए हैं।
'सनातन के ध्वजवाहक 'अखाड़ों' की दिव्यता-भव्यता ने किया निहाल'
मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर सनातन परंपरा का निर्वहन करते हुए अखाड़ों ने संगम में दिव्य अमृत स्नान किया। भाला, त्रिशूल और तलवारों के साथ युद्ध कला का अद्भुत प्रदर्शन करते हुए घोड़े और रथों पर सवार होकर शोभायात्रा के साथ पहुंचे नागा साधु, संतों की दिव्यता और करतब देखकर श्रद्धालु निहाल हो उठे। पावन त्रिवेणी में अठखेलियाँ करते नागा साधुओं को देखते ही बन रहा था।
त्रिवेणी स्नान को उमड़ा जनसमुद्र
1.75 करोड़ श्रद्धालुओं ने पौष पूर्णिमा पर संगम स्नान किया| 3.50 करोड़ श्रद्धालुओं ने मकर संक्रांति पर लगाई आस्था की डुबकी
संस्कृतियों का संगम, एकता का महाकुम्भ
मकर संक्रांति पर महाकुम्भ में भारत के हर राज्य के लोगों संगम में अमृत स्नान किया। कई देश के श्रद्धालु भी पहुंचे और जय श्री राम, हर हर गंगे, बम बम भोले के उद्घोष के साथ भारतीय जनमानस के साथ घुल मिल गए।
को कहि सकड़ प्रयाग प्रभाऊ
गंगा-यमुना एवं सरस्वती के संगम पर विराजित प्रयाग सभ्यता के ऊषाकाल से ही भारतीय संस्कृति का अमर वाहक और आधार स्तम्भ रहा है। यह हमारे राष्ट्र तथा संस्कृति की पहचान, प्रतीक व पुरातन परम्परा का निर्वाहक रहा है।
तकनीक का महाकुम्भ
इस बार 'डिजिटल महाकुम्भ' के रूप में परिकल्पना की गई है। अब पूरी दुनिया यूपी की डिजिटल और तकनीक आधारित महाकुम्भ-2025 साक्षी बन रही है। मेले की भव्यता को बढ़ाने और वैश्विक स्तर पर इसका प्रचार-प्रसार करने के उद्देश्य से पहली बार प्रदेश सरकार ने पूरे मेले का डिजिटलाइजेशन किया है।
स्वच्छ महाकुम्भ
विश्व के सबसे विराट मानव समागम के स्वच्छ और पर्यावरण अनुकूल बनाये रखने के लिए राज्य सरकार द्वारा विशेष प्रबंध किए गए हैं। एक ओर जहां पूरे प्रयागराज नगर में 03 लाख पौधे लगाए गए हैं तो दूसरी ओर मेला परिसर को 'सिंगल यूज प्लास्टिक फ्री रखने का संकल्प है।