कितनी परवरिश बदली
Rupayan|May 26, 2023
हम अक्सर माता-पिता को यही कहते सुनते हैं, "जमाना बहुत बदल गया। जब तुम मां या पिता बनोगे तो पता चलेगा!" पिछले कुछ दशकों में परवरिश के तौर-तरीकों में ढेर सारे बदलाव आए हैं। नसीहत देनी वाली मां और अनुशासित पिता अब बच्चों के सहेली-दोस्त बन गए हैं। लेकिन मौजूदा पीढ़ी के माता-पिता ने इन बदलावों को किस तरह देखा और अपनाया है?
रेणु खंतवाल
कितनी परवरिश बदली

इस समय दो तरह की परवरिश देखी जा रही है। एक वह, जो हमने अपने माता-पिता से सीखी और दूसरी वह, जो नए जमाने की मॉडर्न पैरेंटिंग है।

विश्व माता-पिता दिवस (1 जून) पर खास

कभी हम माता-पिता से बहुत डरते थे। उनकी हर बात हमारे लिए पत्थर की लकीर होती थी। हमारी पसंद-नापसंद कोई खास मायने नहीं रखती थी। समय बदला। अब बच्चों की अपनी स्वतंत्र सोच है। उनकी पसंद-नापसंद इतनी मायने रखती है कि माता-पिता को उन्हें मानना होता है। इसमें दो राय नहीं कि पहले के सख्त अनुशासित पिता की छवि अब एक दोस्त के रूप में बदल गई है। हर गलती पर डांटने या मारने वाली मां अब बेटी की सहेली बन गई है। इस पूरे बदलाव में असल परीक्षा मौजूदा पीढ़ी के माता-पिता की है, जिन्होंने अपने समय में कठोर अनुशासन झेला है, लेकिन अपने बच्चों के साथ दोस्ताना व्यवहार अपना रहे हैं। परवरिश को लेकर कुछ पुराने और कुछ नए माता-पिता के अनुभव-

गलती करते तो खूब डांट पड़ती 

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