पके बच्चे बड़े हो रहे हैं। किशोर यानी आ टीनएजर की उम्र सबसे अहम होती है। इस समय उनके खान-पान को लेकर माता-पिता को अधिक फोकस करना होता है। उन्हें संतुलित और स्वास्थ्यवर्धक आहार सबसे जरूरी है। अभी गर्मी का मौसम है। ड्रिंक पर सबका अधिक जोर होता है। ऐसे में आपके लिए एक चैलेंज है कि आप अपने किशोर उम्र के बेटे-बेटी को क्या ऑफर करती हैं। बच्चा जिस एनर्जी ड्रिंक का प्रचार टीवी या सोशल मीडिया पर देखता है, उसकी ही मांग करता है। आपको भी उसकी फिक्र है, इसलिए आप उसे वही देना शुरू कर देती हैं। बच्चे को गर्मी लगी, आप उसके हाथ में कार्बोनेटेड ड्रिंक या केमिकल वाले फ्रूट जूस थमा देती हैं। आप अपनी तरफ से ठीक करती हैं, पर अगली बार आप ऐसा न करें, अन्यथा इनके नियमित प्रयोग से आपके लाडले की सेहत बिगड़ सकती है ।
अपने स्पोर्टी बच्चे की सेहत के लिए आप क्या कुछ नहीं करतीं। वह सुबह सोकर उठा तो आप दूध या पानी में एनर्जी ड्रिंक घोल कर उसके हाथ में थमा देती हैं। एनर्जी ड्रिंक में विटामिन्स, हर्बल सप्लीमेंट्स, स्वीटनर और कैफीन होता है। ये ड्रिंक्स बच्चों में बहुत लोकप्रिय हैं। प्रचार में ये दावे किए जाते हैं कि उसे पीने से बच्चों की कार्यक्षमता बढ़ती है, नई ऊर्जा और स्फूर्ति का संचार होता है और सोचने-समझने की शक्ति तेज-तर्रार होती है। इन्हें पिलाने में आपको भी कोई ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ती। लेकिन आपको समझना होगा कि बच्चा एक दिन में तन-मन से मजबूत नहीं होगा। आप बढ़ते बच्चे को अंदर से मजबूत बनाएं, तभी वह आपकी उम्र में पहुंचकर मजबूत और फौलादी बनेगा। बढ़ते बच्चे का शरीर कोमल होता है, इसलिए उसे बेवजह के एनर्जी ड्रिंक न पिलाएं।
This story is from the {{IssueName}} edition of {{MagazineName}}.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the {{IssueName}} edition of {{MagazineName}}.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
11 धार्मिक कॉरीडोर का नगर प्रयागराज
सनातन संस्कृति के उद्भव और विकास की साक्षी प्रयागराज नगरी में तीन पवित्र नदियों की संगम स्थली है तो सृष्टि रचना की कामना के साथ पहला यज्ञ भी यहीं हुआ था। यहां शक्तिपीठ है तो अनादिकाल से अक्षयवट भी है। ऐसे ही अगाध आस्था तथा आध्यत्मिक / सांस्कृतिक महत्व के पुरातन स्थलों का राज्य सरकार द्वारा सौंदर्यीकरण कराया गया है। प्रयागराज एक मात्र ऐसा नगर हैं, जहां 11 धार्मिक कॉरीडोर हैं।
डिजिटल महाकुम्भ अनुभव केंद्र
डिजिटल महाकुम्भ की परिकल्पना को साकार करते हुए इस बार मेला क्षेत्र के सेक्टर तीन में स्थापित 'डिजिटल महाकुम्भ अनुभव केंद्र' आकर्षण का केंद्र है।
स्वस्थ महाकुम्भ
कड़ाके की ठंड के बीच महाकुम्भ में संगम स्नान की अभिलाषा रखने वाले प्रयागराज आ रहे श्रद्धालुओं, संत-महात्माओं, कल्पवासियों और पर्यटकों की स्वास्थ्य सुरक्षा के भी इंतजाम किये गए हैं।
सर्वसुविधायुक्त टेंट सिटी
ठंड में महाकुम्भ में आने वाले हर किसी व्यक्ति की पहली चिंता आवासीय प्रबंध को लेकर होती थी, लेकिन महाकुम्भ 2025 में हर आय वर्ग के लोगों के रहने, खाने-पीने के सुविधाजनक प्रबंध किए गए हैं।
'सनातन के ध्वजवाहक 'अखाड़ों' की दिव्यता-भव्यता ने किया निहाल'
मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर सनातन परंपरा का निर्वहन करते हुए अखाड़ों ने संगम में दिव्य अमृत स्नान किया। भाला, त्रिशूल और तलवारों के साथ युद्ध कला का अद्भुत प्रदर्शन करते हुए घोड़े और रथों पर सवार होकर शोभायात्रा के साथ पहुंचे नागा साधु, संतों की दिव्यता और करतब देखकर श्रद्धालु निहाल हो उठे। पावन त्रिवेणी में अठखेलियाँ करते नागा साधुओं को देखते ही बन रहा था।
त्रिवेणी स्नान को उमड़ा जनसमुद्र
1.75 करोड़ श्रद्धालुओं ने पौष पूर्णिमा पर संगम स्नान किया| 3.50 करोड़ श्रद्धालुओं ने मकर संक्रांति पर लगाई आस्था की डुबकी
संस्कृतियों का संगम, एकता का महाकुम्भ
मकर संक्रांति पर महाकुम्भ में भारत के हर राज्य के लोगों संगम में अमृत स्नान किया। कई देश के श्रद्धालु भी पहुंचे और जय श्री राम, हर हर गंगे, बम बम भोले के उद्घोष के साथ भारतीय जनमानस के साथ घुल मिल गए।
को कहि सकड़ प्रयाग प्रभाऊ
गंगा-यमुना एवं सरस्वती के संगम पर विराजित प्रयाग सभ्यता के ऊषाकाल से ही भारतीय संस्कृति का अमर वाहक और आधार स्तम्भ रहा है। यह हमारे राष्ट्र तथा संस्कृति की पहचान, प्रतीक व पुरातन परम्परा का निर्वाहक रहा है।
तकनीक का महाकुम्भ
इस बार 'डिजिटल महाकुम्भ' के रूप में परिकल्पना की गई है। अब पूरी दुनिया यूपी की डिजिटल और तकनीक आधारित महाकुम्भ-2025 साक्षी बन रही है। मेले की भव्यता को बढ़ाने और वैश्विक स्तर पर इसका प्रचार-प्रसार करने के उद्देश्य से पहली बार प्रदेश सरकार ने पूरे मेले का डिजिटलाइजेशन किया है।
स्वच्छ महाकुम्भ
विश्व के सबसे विराट मानव समागम के स्वच्छ और पर्यावरण अनुकूल बनाये रखने के लिए राज्य सरकार द्वारा विशेष प्रबंध किए गए हैं। एक ओर जहां पूरे प्रयागराज नगर में 03 लाख पौधे लगाए गए हैं तो दूसरी ओर मेला परिसर को 'सिंगल यूज प्लास्टिक फ्री रखने का संकल्प है।