किसी भी महिला के लिए प्रसव निस्संदेह एक भावनात्मक और शारीरिक मांग है। इस अवधि के दौरान उसे शांत और स्वस्थ रहने की जरूरत होती है। योग अनुसंधान ने यह साबित कर दिया है कि सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने, प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने, तनाव को नियंत्रित करने और भ्रूण के बढ़ने के क्रम में योगासन बहुत लाभदायक होते हैं। ये योगासन न सिर्फ आपको स्वस्थ रखते हैं, बल्कि गर्भावस्था से पहले और गर्भधारण की यात्रा को सहज बनाने में काफी मदद भी करते हैं।
■ कितना सुरक्षित : आमतौर पर गर्भावस्था के दौरान, पहले या बाद में व्यायाम और योग करना गर्भवती माताओं के लिए सुरक्षित माना जाता है। हालांकि महिलाओं को इस दौरान कुछ गिने-चुने व्यायाम और योग ही करने चाहिए। गर्भावस्था के दौरान नियमित व्यायाम से ढेर सारे लाभ होते हैं, जो गर्भावस्था और मातृत्व के लिए तैयार करते हैं और इस यात्रा को सहज बनाते हैं। इस दौरान उचित मार्गदर्शन में योगाभ्यास करने से गर्भ में शिशु की स्थिति को सुधारने और जरूरत पड़ने पर उसे समय से पहले ही पोजीशन देने में मदद मिलती है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान कुछ व्यायाम जरूर करने चाहिए।
■ प्राणायाम : यह एक महत्वपूर्ण योगाभ्यास है, जो गर्भवती मां में चिंता और तनाव के स्तर को दूर करने में मदद करता है। यह सुनिश्चित करता हैं कि मां और बच्चे, दोनों में ऑक्सीजन की आपूर्ति हो, साथ ही आप फिट भी रहें।
■ मेडिटेशन या ध्यान : ध्यान आपको गहनतम न्यूरोसिस, भय और संघर्ष को हल करने में मदद करता है, जो गर्भावस्था के दौरान बहुत आम है। ध्यान अपने साथ एक अविश्वसनीय जागरूकता लाता है, जो आपको अपने बच्चे के साथ जुड़ने में मदद करता है।
■ स्ट्रेचिंग : योग और आसन आमतौर पर प्रजनन अंगों पर काम करते हैं। सूक्ष्म स्तर पर ये बढ़ते भ्रूण को रक्त और पोषक तत्वों की उचित आपूर्ति करने में मदद करते हैं। मुख्य रूप से आसन या योगाभ्यास भावी मां में सकारात्मक ऊर्जा और आत्मविश्वास लाते हैं। रीढ़ की हड्डी का व्यायाम करने से मतली, सांस फूलना, पीठ दर्द को कम करने में मदद मिलती है।
This story is from the {{IssueName}} edition of {{MagazineName}}.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the {{IssueName}} edition of {{MagazineName}}.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
11 धार्मिक कॉरीडोर का नगर प्रयागराज
सनातन संस्कृति के उद्भव और विकास की साक्षी प्रयागराज नगरी में तीन पवित्र नदियों की संगम स्थली है तो सृष्टि रचना की कामना के साथ पहला यज्ञ भी यहीं हुआ था। यहां शक्तिपीठ है तो अनादिकाल से अक्षयवट भी है। ऐसे ही अगाध आस्था तथा आध्यत्मिक / सांस्कृतिक महत्व के पुरातन स्थलों का राज्य सरकार द्वारा सौंदर्यीकरण कराया गया है। प्रयागराज एक मात्र ऐसा नगर हैं, जहां 11 धार्मिक कॉरीडोर हैं।
डिजिटल महाकुम्भ अनुभव केंद्र
डिजिटल महाकुम्भ की परिकल्पना को साकार करते हुए इस बार मेला क्षेत्र के सेक्टर तीन में स्थापित 'डिजिटल महाकुम्भ अनुभव केंद्र' आकर्षण का केंद्र है।
स्वस्थ महाकुम्भ
कड़ाके की ठंड के बीच महाकुम्भ में संगम स्नान की अभिलाषा रखने वाले प्रयागराज आ रहे श्रद्धालुओं, संत-महात्माओं, कल्पवासियों और पर्यटकों की स्वास्थ्य सुरक्षा के भी इंतजाम किये गए हैं।
सर्वसुविधायुक्त टेंट सिटी
ठंड में महाकुम्भ में आने वाले हर किसी व्यक्ति की पहली चिंता आवासीय प्रबंध को लेकर होती थी, लेकिन महाकुम्भ 2025 में हर आय वर्ग के लोगों के रहने, खाने-पीने के सुविधाजनक प्रबंध किए गए हैं।
'सनातन के ध्वजवाहक 'अखाड़ों' की दिव्यता-भव्यता ने किया निहाल'
मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर सनातन परंपरा का निर्वहन करते हुए अखाड़ों ने संगम में दिव्य अमृत स्नान किया। भाला, त्रिशूल और तलवारों के साथ युद्ध कला का अद्भुत प्रदर्शन करते हुए घोड़े और रथों पर सवार होकर शोभायात्रा के साथ पहुंचे नागा साधु, संतों की दिव्यता और करतब देखकर श्रद्धालु निहाल हो उठे। पावन त्रिवेणी में अठखेलियाँ करते नागा साधुओं को देखते ही बन रहा था।
त्रिवेणी स्नान को उमड़ा जनसमुद्र
1.75 करोड़ श्रद्धालुओं ने पौष पूर्णिमा पर संगम स्नान किया| 3.50 करोड़ श्रद्धालुओं ने मकर संक्रांति पर लगाई आस्था की डुबकी
संस्कृतियों का संगम, एकता का महाकुम्भ
मकर संक्रांति पर महाकुम्भ में भारत के हर राज्य के लोगों संगम में अमृत स्नान किया। कई देश के श्रद्धालु भी पहुंचे और जय श्री राम, हर हर गंगे, बम बम भोले के उद्घोष के साथ भारतीय जनमानस के साथ घुल मिल गए।
को कहि सकड़ प्रयाग प्रभाऊ
गंगा-यमुना एवं सरस्वती के संगम पर विराजित प्रयाग सभ्यता के ऊषाकाल से ही भारतीय संस्कृति का अमर वाहक और आधार स्तम्भ रहा है। यह हमारे राष्ट्र तथा संस्कृति की पहचान, प्रतीक व पुरातन परम्परा का निर्वाहक रहा है।
तकनीक का महाकुम्भ
इस बार 'डिजिटल महाकुम्भ' के रूप में परिकल्पना की गई है। अब पूरी दुनिया यूपी की डिजिटल और तकनीक आधारित महाकुम्भ-2025 साक्षी बन रही है। मेले की भव्यता को बढ़ाने और वैश्विक स्तर पर इसका प्रचार-प्रसार करने के उद्देश्य से पहली बार प्रदेश सरकार ने पूरे मेले का डिजिटलाइजेशन किया है।
स्वच्छ महाकुम्भ
विश्व के सबसे विराट मानव समागम के स्वच्छ और पर्यावरण अनुकूल बनाये रखने के लिए राज्य सरकार द्वारा विशेष प्रबंध किए गए हैं। एक ओर जहां पूरे प्रयागराज नगर में 03 लाख पौधे लगाए गए हैं तो दूसरी ओर मेला परिसर को 'सिंगल यूज प्लास्टिक फ्री रखने का संकल्प है।