लोगों को न कहना एक ऐसी महत्त्वपूर्ण कला है, जो आप अपने आप विकसित कर सकते हैं। यह आपको व्यक्तिगत एवं पेशेवर जीवन में अपने हितों को आगे बढ़ाने के लिए सामर्थ्य देती है। एक हद तक यह आपकी उत्पादकता एवं आपके रिश्तों को भी सुधारती है। इसके साथ ही यह आप को आत्मविश्वास तथा आत्मिक शांति देती है, जिससे आप उद्वेलित नहीं हो पाते। 'न कहने की कला' आपको स्वतंत्रता देती है। पर यह कला विकसित करना बहुत ही मुश्किल भरा है। अधिकांश लोगों के लिए वर्षों के अभ्यास के विपरीत, इसे पूर्ववत् करने की आवश्यकता होती है। हममें से कुछ के लिए न बोलना सीखना हमारे अभिभावकों, शिक्षकों, बॉस, सहयोगियों और परिवार के सदस्यों का प्रतिवाद करने जैसा है।
'न कहने की कला' तलवार की धार पर चलने की कला है। यह पुस्तक आप में वह विवेक और कौशल विकसित करेगी, ताकि आप अपनी और पहुँच के बाहर के कार्यों को शालीनतापूर्वक मना कर सकें। आपके व्यक्तित्व को नए आयाम देनेवाली अत्यंत महत्त्वपूर्ण पठनीय पुस्तक।
अपने किसी दोस्त या रिश्तेदार के बारे में सोचें, जिसके बारे में आप समझते हैं कि वह लोगों को खुश करने में ही लगा रहता है। वह व्यक्ति आपकी जान-पहचान में सारे अच्छे लोगों में एक होगा। वह हमेशा किसी की भी सहायता करने के लिए तैयार होगा। जब भी कोई जरूरत होगी, तब आप मदद के लिए उसे याद कर सकते हैं। वह व्यक्ति बहुत खुशी के साथ अपनी निजी जरूरतों का ध्यान रखे बिना आपकी जरूरतों को पूरा करने के लिए तैयार होगा।
क्या आपको निजी रूप से उसका यह व्यवहार बुरा सा प्रतीत नहीं होता? क्या आप स्वयं इसके पहलुओं पर ध्यान दे हैं? जैसे-जब कोई आपसे मदद माँगने जाता है तो क्या आप अपना कोई कामधाम किनारे छोड़कर तुरंत मदद के लिए 'हाँ' कह देते हैं?
अब उससे भी ज्यादा बड़ा मुद्दा यह है कि आप लगातार खुद को नाखुश, तनावपूर्ण एवं थका हुआ महसूस करते हैं और दूसरों की प्राथमिकताओं को अपने सिर पर रखते हैं?
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इज़रायल-फ़िलिस्तीन संघर्ष और उसकी जटिल सामाजिक-मानवीय परिणतियों का गहन अध्ययन
यह पुस्तक इज़रायल-फ़िलिस्तीन संघर्ष और उसकी जटिल सामाजिक-मानवीय परिणतियों का गहन अध्ययन प्रस्तुत करती है। इसमें कहानियों, कविताओं, साहित्यिक-राजनीतिक लेखों, साक्षात्कारों और टिप्पणियों का संग्रह है जो इस संघर्ष के विभिन्न पहलुओं को उजागर करते हैं।
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