ऐसे में अगर पशुपालक दुधारू पशुओं का पालन कर रहा है, तो उस के पोषण का विशेष खयाल रखना पड़ता है. इस के लिए पोषण तत्त्वों से भरपूर चारे के ऊपर अत्यधिक खर्च करना पड़ता है. कभीकभी पोषक चारे व आहार देने के बावजूद भी दुधारू पशुओं से अपेक्षित दुग्ध उत्पादन नहीं मिल पाता है, जिस की वजह से पशुपालकों को कभीकभी नुकसान भी उठाना पड़ता है.
इस नजरिए से पोषक तत्त्वों से भरपूर माना जाने वाला अजोला फर्न न केवल पोषक तत्त्वों से भरपूर है, बल्कि इस से दुग्ध उत्पादन को बढ़ा कर उत्पादन लागत में कमी लाई जा सकती है. अजोला फर्न खिलाने से गाय के दूध में 15 फीसदी तक की वृद्धि दर्ज की गई है.
वैसे भी देश में हरे चारे का मुख्य स्त्रोत माने जाने वाले चारागाहों, वन क्षेत्रों व कृषि योग्य भूमि का क्षेत्रफल तेजी से सिमट गया है, जिस की वजह से पशुओं के लिए हरे चारे का संकट भी बढ़ा है. इस की पूर्ति के लिए पशुपालक को दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए चारे व दाने पर अतिरिक्त खर्च करना पड़ रहा है.
ऐसी स्थिति में अजोला सस्ता, सुपाच्य व पौष्टिक आहार के रूप में एक बेहतर चारा साबित हो रहा है, जिस पर महज 2 रुपए से कम प्रति किलोग्राम की लागत आती है.
अजोला एक प्रकार का फर्न है, जो देखने में शैवाल की तरह होता है और पानी पर तैरता रहता है. यह आमतौर पर उथले पानी और धान के खेतों में पाया जाता है. मगर इस का व्यावसायिक उत्पादन फायदे का सौदा साबित हो रहा है.
अजोला किसी भी अन्य चारे से ज्यादा पौष्टिक होता है, जिस को खिलाने से दुधारू पशुओं के दूध की गुणवत्ता पहले से बेहतर हो जाती है.
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फार्म एन फूड की ओर से सम्मान पाने वाले किसानों को फ्रेम कराने लायक यादगार भेंट
उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड
'चाइल्ड हैल्प फाउंडेशन' के अधिकारी हुए सम्मानित
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खाद्य तेल के दामों पर लगाम, एमआरपी से अधिक न हों दाम
केंद्र सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) के सचिव ने मूल्य निर्धारण रणनीति पर चर्चा करने के लिए पिछले दिनों भारतीय सौल्वेंट ऐक्सट्रैक्शन एसोसिएशन (एसईएआई), भारतीय वनस्पति तेल उत्पादक संघ (आईवीपीए) और सोयाबीन तेल उत्पादक संघ (सोपा) के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की अध्यक्षता की.
अक्तूबर महीने में खेती के खास काम
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रकार की मंशा है कि खेती लाभ का धंधा बने. इस के लिए शासन द्वारा किसान हितैषी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं.
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