खेत की मिट्टी परीक्षण के लिए समयसमय पर मिट्टी की जांच जरूर करवानी चाहिए. मिट्टी की जांच से हमें उस में मौजूद लवणीयता, क्षारीयता और अम्लीयता की जानकारी मिलती है.
पौधों में समुचित विकास के लिए उन्हें 16 पोषक तत्त्वों की जरूरत होती है, जिस में खासकर हाइड्रोजन, औक्सीजन, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, कैल्शियम, मैग्नीशियम, सल्फर आदि होते हैं.
सामान्य तौर पर मिट्टी में ये सभी तत्त्व मौजूद होते हैं, लेकिन लगातार अनेक तरह की फसल लेने से इन में अनेक पोषक तत्त्वों में कमी आ जाती है. इस के अलावा खेत में इस्तेमाल होने वाले रासायनिक पदार्थ व खेत में ही फसल अवशेषों का जला देना आदि भी खेत की मिट्टी खराब करते हैं और मिट्टी में मौजूद पोषक तत्त्वों में असमानता आ जाती है, जिस के चलते हमें उचित पैदावार भी नहीं मिल पाती है.
इसी कमी की भरपाई के लिए खेत का मिट्टी परीक्षण कराना अच्छा रहता है. मिट्टी जांच के बाद जो संस्तुति या नतीजे मिलते हैं, उसी के अनुसार खेत में उर्वरक व खादबीज आदि डाले जाते हैं.
मिट्टी की जांच कराना बहुत ही आसान है और सभी की पहुंच में भी जरूरत है, केवल जागरूकता की.
जानकारी के लिए बता दें कि भारत में मिट्टी जांच की शुरुआत साल 1956 में हुई थी और शुरुआत के समय 24 मिट्टी जांच केंद्र खोले गए थे.
लेकिन तब और अब में बहुत बदलाव आ चुका है. उन दिनों पारंपरिक खेती का दौर था, कृषि रसायनों का इस्तेमाल भी नहीं होता था. लेकिन अब खेती में कृषि रसायनों का बहुत इस्तेमाल हो रहा है, इसलिए आज के समय में ज्यादा जरूरी हो जाता है कि हम अपने खेत की मिट्टी की जांच समयसमय पर कराते रहें और उसी के अनुसार खेती को करें.
आज तो चंद कदमों की दूरी पर मिट्टी जांच की सुविधाएं भी हैं. किसान के काम भी आसान हो रहे हैं, इसलिए सही समय पर सही तरीके से मिट्टी की जांच करानी चाहिए.
मिट्टी नमूना लेने की सही विधि
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उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड
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