बरबटी को लोबिया नाम से भी जाना जाता है. यह प्रोटीन का बहुत सस्ता और अच्छा जरीया है. लोबिया की हरी नरम फलियों को सब्जी के तौर पर और दानों को दाल या चाट बना कर इस्तेमाल में लाया जाता है. इस को मिट्टी कटाव रोकने के लिए भी उगाते हैं. यह कुछ हद तक सूखे के प्रति प्रतिरोधी है और कम उपजाऊ खेतों में भी अच्छी पैदावार होने के चलते लोबिया को सभी तरह की आबोहवा में उगाया जा सकता है.
यह गरम मौसम की फसल है. ठंडा मौसम इस की खेती के लिए अच्छा नहीं होता. ज्यादा बारिश व पानी का भराव इस के लिए नुकसानदायक होता है.
लोबिया की अलगअलग किस्मों को अलग तरह के तापमान की जरूरत पड़ने के चलते जायद व खरीफ दोनों सीजन में उगाने के लिए अलगअलग किस्में होती हैं.
लोबिया की खेती सभी तरह की मिट्टी में कर सकते हैं. खेत से फालतू पानी को निकालने का इंतजाम होना चाहिए.
खेत की पहली जुताई कल्टीवेटर से व दूसरी जुताई हैरो से करनी चाहिए. हर जुताई के बाद पाटा चला कर मिट्टी को भुरभुरा व समतल बना लेते हैं.
बीज की मात्रा
लोबिया का औसतन 12 से 20 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की दर से पर्याप्त होता है. गरमी की फसल में 20 किलो व बरसात की फसल के लिए 12 किलो बीज पर्याप्त रहता है.
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फार्म एन फूड की ओर से सम्मान पाने वाले किसानों को फ्रेम कराने लायक यादगार भेंट
उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड
'चाइल्ड हैल्प फाउंडेशन' के अधिकारी हुए सम्मानित
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