• कब्ज सामान्यत : हफ्ते में तीन बार से कम मल की निकासी को कहा जाता है, जिसमें मल सामान्यतः शुष्क एवं कठोर होता है। उन व्यक्तियों में जिनमें कब्ज होता है, मल त्याग में तकलीफ होती है। कब्ज के अन्य लक्षण हैं- फुलाव महसूस करना, कमजोरी या आलस महसूस करना या असुविधाजनक महसूस करना आदि।
• बहुत से लोग यह सोचते हैं कि उन्हें कब्ज है, जबकि उनका मल त्याग सामान्य एवं नियमित होता है। उदाहरण के लिए कुछ व्यक्ति यह विश्वास करते हैं कि यदि प्रतिदिन शौच नहीं हुआ, तो उन्हें कब्ज या अनियमितता है। हालांकि प्रतिदिन या प्रति सप्ताह के लिए कोई निश्चित मल त्याग संख्या निर्धारित नहीं होती। सामान्य अवस्था प्रतिदिन तीन बार या प्रति सप्ताह तीन बार हो सकती है। यह संख्या पर निर्भर करता है। इसके अलावा कुछ लोगों का मल, अन्य की तुलना में सख्त होता है।
• कभी न कभी लगभग सभी को कब्ज होता है। गलत खान-पान, आहार प्रणाली तथा व्यायाम न करना, इसके सामान्य कारण हैं। ज्यादातर स्थितियों में, कब्ज केवल अस्थायी होता है तथा गंभीर नहीं होता। इसके कारणों को समझकर इनसे बचना तथा सही उपचार ही इससे राहत पहुंचाने का एक मात्र रास्ता है।
• शूल पीड़ा, लीवर में दर्द, सिर में दर्द, किसी भी काम में मन न लगना, मिचली, भूख न रहना, शूल के साथ पतले दस्त, दस्त होने पर दस्त की दोबारा शंका बनी रहना, सूखा और कड़ा मल, पेट में गड़बड़ अथवा तनाव, बवासीर, हाजत होने पर दस्त न होना आदि।
• कब्ज एक बीमारी नहीं, बल्कि बीमारी का लक्षण है तथा यह सर्वाधिक आम पाचन संबंधी शिकायत है।
कब्ज को पहचानने के लिए निम्न पर गौर करें
1. अगर रोजाना ढंग से पेट साफ नहीं होता।
2. हमेशा ऐसा लगता रहे कि पेट से मल पूरी तरह से बाहर नहीं निकला है।
3. बार-बार टॉयलेट जाएं, मगर फिर भी मोशन आने का अंदेशा बना रहे। इसे सीधे तौर पर कब्ज नहीं कहा जाता, मगर यह कब्ज का ही एक रूप यानी उदर विकार (पेट साफ न होने की बीमार)
कब्ज किसे होता है?
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