प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद दो शब्दों के मेल से बना है। संस्कृत में मूल शब्द 'आयुर' का अभिप्राय है दीर्घायु अथवा आयु तथा 'वेद' अर्थात् विज्ञान। और इस चिकित्सा पद्धति का आधार है हमारी प्रकृति । ये हरेभरे पेड़-पौधे पर्यावरण के लिए जितने आवश्यक हैं उतने ही हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी।
इनमें से कई पेड़-पौधे हम अपने बागबगीचे की खूबसूरती बढ़ाने के लिए लगाते हैं और कुछ हम आए दिन अपनी रसोई में उपयोग करते हैं जो हमारे घर या आसपास आसानी से उपलब्ध होते हैं, जैसे-
आंवला- यह विटामिन सी का भंडार है। आयुर्वेद में इसका महत्त्वपूर्ण स्थान है। आंवला ताजा हो या सूखा दोनों ही रूपों में यह सेहत के लिए फायदेमंद है। सूखे आंवले में विटामिन 'सी' अम्ल, स्टार्च, प्रोटीन आदि ताजे फलों की तुलना में अधिक होते हैं । आंवले के नियमित सेवन से कब्ज की समस्या दूर होती है।
• आंवला आंखों के लिए बेहद फायदेमंद है। इसके सेवन से नेत्र की ज्योति बढ़ती है।
• यदि बाल गिरते हों अथवा असमय सफेद हो रहे हों तो सूखे आंवले के टुकड़े को रात भर पानी में भिंगों दे और सुबह उसके पानी से बाल धो लें। इसके प्रयोग से बालों का टूटना, पकना बंद हो जाएगा और बाल काले तथा घने भी होंगे।
• सूखे आंवले का चूर्ण भी फायदेमंद है। सूखे आंवले को कूटकर या पीसकर चूर्ण बना लिया जाता है। यदि पीलिया हो तो आंवले का चूर्ण छाछ के साथ लेने से रोग में आराम मिलता है।
• सूखे आंवले के चूर्ण को मूली के साथ खाने से मूत्र पथरी भी नष्ट होता है।
• यदि बच्चा तुतलाता हो तो सूखे आंवले के चूर्ण को गाय के घी के साथ मिलाकर चटाएं। कुछ दिनों में तुतलाना ठीक में हो जाएगा।
• सूखे आंवले, चित्रक की जड़, हरड़ पीपल और सेंधा नमक को समान मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें और बुखार होने पर इसका सेवन करें। यह सभी प्रकार का ज्वरनाशक है। इसके साथ ही आंवला त्वचा और हृदय रोग में भी लाभकारी माना जाता है।
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विदेशों में भी लोकप्रिय दीपावली
दीपावली के अवसर पर कश्मीर से कन्याकुमारी तक दीपों की जगमगाहट और पटाखों की गूंज होती है। लेकिन यह त्यौहार सरहद और सात समंदर पार भी उसी उत्साह और उमंग से मनाया जाता है। कहां और कैसे, जानें लेख से।
शक्ति आराधना के साढ़े तीन पीठ
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बढ़ती आबादी बनी चुनौती
विश्व की जनसंख्या सात अरब से भी पार जा चुकी है। अगर अपने देश भारत की बात करें तो यह संख्या दुनिया की कुल आबादी का 17.78% है। भारत विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन चुका है।
दीपावली में रंग भरती रंगोली
रंगोली लोकजीवन का एक बहुत ही अभिन्न अंग है। देश के विभिन्न हिस्सों में रंगोली सजाने का अपना अलग-अलग स्वरूप है। दीपावली के मौके पर इसका महत्त्व और भी बढ़ जाता है।
धनतेरसः मान्यताएं और खरीदारी
कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को यानी धनवंतरि त्रयोदशी को धनतेरस के नाम से जाना जाता है। दीपावली से दो दिन पूर्व मनाया जाता है धनतेरस। इस दिन सोना-चांदी आदि खरीदना शुभ मानते हैं। धनतेरस के महत्त्व को जानें इस लेख से।
लक्ष्मी को प्रिय उल्लू, कौड़ी और कमल
हिन्दू धर्म में मां लक्ष्मी को धन और प्रतिष्ठा की देवी मानते हैं तो उनके वाहन उल्लू को भी भारतीय संस्कृति में धन-संपत्ति के प्रतीक के रूप में माना जाता है। इसके साथ ही कौड़ी और कमल का भी मां लक्ष्मी से गहरा नाता है।
सब दिन होत ना एक समाना
पुष्पक विमान में बैठ कर राम, सीता व लक्ष्मण अनेक तीर्थस्थलों का भ्रमण करने के पश्चात अयोध्या लौट रहे थे। चौदह वर्ष पश्चात अपनी मातृभूमि के दर्शन के इस विचार से ही श्रीराम गदगद् हो उठे।
जय मां नीलेश्वरी काली जन्म दाती से जगत जननी तक
डस पृथ्वी पर धरा एक ऐसी शक्ति है जिसमें सभी बुद्धिजीवी प्राणी कृपा पाते हैं, जिसके रूप अनेक हैं, कोई किसी नाम से कोई किसी नाम से मां आदि शक्ति की पूजा करते हैं।
नौ कन्याओं का पूजन क्यों?
नवरात्र में कन्या पूजन का विशेष महत्त्व है। नौ कन्याओं को नौ देवियों के रूप में पूजन कर अपने सामर्थ्यनुसार दक्षिणा देकर भक्त माता रानी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
बिना कसरत के वजन कम करें, अपनाएं ये टिप्स
व्यायाम के बिना वज़न घटाने के इन चमत्कारी तरीक़ों पर गौर करें और बिना व्यायाम के अपना वज़न घटाने की शुरुआत करें।