गर्मियों और बरसात के मौसम में कुछ बिमारियां विशेष रूप से देखने में आती हैं, जैसे मलेरिया, हैजा, आंत्रशोथ व पीलिया। पीलिया को लेकर आज भी यह धारणा है कि यह रोग उम्र भर के लिए जिगर को खराब कर देता है और शायद इसी से भयभीत होकर कुछ लोग तरह-तरह के इलाज, जादू, टोने व तरह-तरह के परहेज करने लगते हैं। जैसे गले में सफेद माला डालकर उसके पीले होने तक का इंतजार। दही को चंद्रमा की रोशनी दिखाकर खाना, किसी भी ओझा से पीलिया झड़वाना वगैरह, किंतु इन सब इलाजों के पीछे कोई भी वैज्ञानिक तथ्य अभी तक उपलब्ध नहीं है।
कुछ महीने पहले हमारे पास इंजीनियरिंग तीसरे वर्ष की एक 22 वर्षीया छात्रा पीलिया से बीमार होकर आई थी। उसने डेढ़ महीने तक सब कुछ खाना छोड़कर बाजार से गन्ने का रस मंगवाकर पीया और कच्ची मूली का सेवन किया। दो बार उसने पीलिया झड़वाया था। बाजार से गन्ने का रस लेकर पीना स्वास्थ्य की दृष्टि से यूं भी सुरक्षित नहीं । सफाई न बरती गई तो यह रस फायदे की जगह नुकसान भी पहुंचा सकता है। तीन महीने पहले उसने एक प्राइवेट रक्त बैंक में खून भी दिया था। उसमें उसके बिलीरूबिन की मात्रा 10 मि.ग्रा. थी। पढ़ी-लिखी होने के बावजूद भी उसने डेढ़ महीने का समय खराब किया और काफी नाजुक स्थिति में अस्पताल में दाखिल हुई।
पीलिया जैसा साधारण रोग भयंकर अवस्था में सामान्य जानकारियों के न होने से पहुंचता है। यह रोग किसी भी उम्र को प्रभावित कर सकता है। इसका मुख्य कारण है- पित्त में रुकावट या फिर वायरस (जीवाणु) या शराब की वजह से जिगर की सूजन । मुख्यतः 5 प्रकार के जीवाणुओं की वजह से यह रोग देखा जाता है।
वायरस 'ए'
वायरस 'ए' द्वारा होने वाले पीलिया रोग का प्रसार दूषित भोजन खाने की वजह से होता है और यह अधिकतर बच्चों में पाया जाता है। करीब-करीब 95 प्रतिशत बच्चों में यह संक्रमण देखा जाता है। हालांकि उन्हें पीलिया रोग नहीं होता है। इसके इलाज व बचाव में किसी भी टीके की कोई आवश्यकता नहीं है।
वायरस 'ई'
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