मनुष्य जाति के पहले मनोवैज्ञानिक- बुद्ध
Sadhana Path|May 2023
बुद्ध पहले मनुष्य हैं तथा मनुष्य जाति के पहले मनोवैज्ञानिक हैं। जिन्होंने मनुष्य का रोग क्या है? मनुष्य का रोग कहां है? मनुष्य दुखी क्यों है? आदि प्रश्नों का उत्तर दिया। बुद्ध ने इसको अविष्कृत किया इसका कारण जाना तथा निदान भी किया।
चंद्रमोहन
मनुष्य जाति के पहले मनोवैज्ञानिक- बुद्ध

बुद्ध ने मानव की मनोवृत्ति में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए अपने उपदेशों को गाथाओं के माध्यम से तत्कालीन जनभाषा का प्रयोग कर सही मार्ग प्रस्तुत किया? उनका ऐसा ही एक प्रसंग आइए जानते हैं:- सेतव्य नगर के दो व्यापारी चूलकाल और महाकाल भगवान बुद्ध के पास जाकर प्रव्रजित (संन्यस्त) हो गए। महाकाल जो बड़ा था, प्रव्रजित होने के बाद थोड़े ही दिनों में अर्हत्व पा लिया था। किंतु चूलकाल प्रव्रजित होने पर भी उसका मन गृहस्थी और काम भोग विलास की सोच में ही लगा रहा। एक समय भगवान उनके साथ जब सेतव्य नगर गए, तब चूलकाल को स्त्रियों ने पकड़कर श्वेत वस्त्र पहना दिए। दूसरे दिन महाकाल को भी वैसा ही करना चाहा जैसा चूलकाल के साथ किया लेकिन महाकाल अपने बुद्धिबल से निकल आए। भिक्षुओं ने ऐसा देखते हुए भगवान से पूछा तब भगवान ने कहा, भिक्षुओं, चूलकाल उठते-बैठते शुभ ही शुभ देखता विचारता था, जैसे कि झरने के तट पर कोई दुर्बल वृक्ष हो, किंतु शुभ देखते हुए वि वाला महाकाल शैल पर्वत के समान अचल है। कहकर इन गाथाओं को कहा-

सुभानुपस्सिं विहरन्तं इन्द्रियेसु असंवतं। 

भोजनम्हि अमत्तमञ्जु कुसीतं हीनवीरियं।

तं वे पसहति मारो वातो रूख्खं व दुब्बल॥ 

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