विज्ञान ज्ञान की वह शाखा है जो कार्य-कारण के सिद्धांतों के आधार पर तथ्यों की विवेचना कर सत्य की खोज करती है और दर्शन ज्ञान की वह ज्योति है जो कार्य-कारण के भी परे जाकर सार को खोजती है। तो क्या ये दोनों विपरीत ध्रुवों की भांति कभी नहीं मिल सकते और इनमें कोई मतैक्य (समानता) नहीं हो सकता ? सतही तौर पर देखें तो ऐसा ही लगता है, क्योंकि जहां विज्ञान बिना तर्क व प्रयोग आधारित प्रमाण के एक कदम चलने को भी तैयार नहीं होता, वहीं दर्शन में अधिकांश निष्कर्ष अवधारणाओं पर आधारित प्रतीत होते हैं, जिनमें तर्क को संभवतया इतना महत्त्व नहीं दिया जाता परन्तु हमें लगता है कि यदि छिछले को छोड थोड़ा गहरे पानी पैठकर देखें तो पाएंगे कि ये दोनों एक ही दिशा की ओर इंगित करते हैं, कम से कम हिन्दू दर्शन और विज्ञान के विषय में तो नि:संदेह ऐसा कह सकते हैं कि यह दोनों एक दूसरे के पूरक हैं प्रतिद्वंदी नहीं।
परन्तु यहां हमारा इरादा पूर्वाग्रह से ग्रस्त हो, परंपरा आधारित सामान्य कर्मकांडों (जो अधिकांशतया स्थानीय वातावरण के अनुसार तात्कालिक परिस्थितियों के परिपेक्ष्य में प्रारंभ होकर पहले रीति-रिवाजों के रूप में स्थापित हो जाते हैं और कालांतर में धार्मिक मान्यताओं का अभिन्न अंग बन जाते हैं) को येण-केण-प्रकारेण विज्ञान की कसौटी पर कसकर दिखाने को कटिबद्ध होकर अपरिपक्व तर्क प्रस्तुत करना नहीं, बल्कि हमारे मनीषियों द्वारा पुरातन काल में, जब आधुनिक विज्ञान अपनी शैशवावस्था में भी नहीं पहुंच पाया था, घन-घोर वनों में स्थित आश्रमों में रहकर दीर्घकाल तक सतत चिंतन-मनन कर प्रतिपादित किये गए ऐसे गूढ़ सिद्धांतों का तुलनात्मक अध्ययन करने का प्रयास करना है, जो विज्ञान द्वारा अपनी तर्क शक्ति से बहुत बाद में सामने लाए जा सके, वह भी आंशिक रूप में।
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विदेशों में भी लोकप्रिय दीपावली
दीपावली के अवसर पर कश्मीर से कन्याकुमारी तक दीपों की जगमगाहट और पटाखों की गूंज होती है। लेकिन यह त्यौहार सरहद और सात समंदर पार भी उसी उत्साह और उमंग से मनाया जाता है। कहां और कैसे, जानें लेख से।
शक्ति आराधना के साढ़े तीन पीठ
महाराष्ट्र में कोल्हापुर, तुलजापुर, माहूर और नासिक इन स्थानों पर मां अंबे के साढ़े तीन पीठ हैं। ये सभी शक्ति पीठ जागृत धार्मिक स्थल के रूप में प्रसिद्ध हैं। इनके महत्त्व और आख्यायिकाओं के बारे में जानें इस लेख से।
बढ़ती आबादी बनी चुनौती
विश्व की जनसंख्या सात अरब से भी पार जा चुकी है। अगर अपने देश भारत की बात करें तो यह संख्या दुनिया की कुल आबादी का 17.78% है। भारत विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन चुका है।
दीपावली में रंग भरती रंगोली
रंगोली लोकजीवन का एक बहुत ही अभिन्न अंग है। देश के विभिन्न हिस्सों में रंगोली सजाने का अपना अलग-अलग स्वरूप है। दीपावली के मौके पर इसका महत्त्व और भी बढ़ जाता है।
धनतेरसः मान्यताएं और खरीदारी
कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को यानी धनवंतरि त्रयोदशी को धनतेरस के नाम से जाना जाता है। दीपावली से दो दिन पूर्व मनाया जाता है धनतेरस। इस दिन सोना-चांदी आदि खरीदना शुभ मानते हैं। धनतेरस के महत्त्व को जानें इस लेख से।
लक्ष्मी को प्रिय उल्लू, कौड़ी और कमल
हिन्दू धर्म में मां लक्ष्मी को धन और प्रतिष्ठा की देवी मानते हैं तो उनके वाहन उल्लू को भी भारतीय संस्कृति में धन-संपत्ति के प्रतीक के रूप में माना जाता है। इसके साथ ही कौड़ी और कमल का भी मां लक्ष्मी से गहरा नाता है।
सब दिन होत ना एक समाना
पुष्पक विमान में बैठ कर राम, सीता व लक्ष्मण अनेक तीर्थस्थलों का भ्रमण करने के पश्चात अयोध्या लौट रहे थे। चौदह वर्ष पश्चात अपनी मातृभूमि के दर्शन के इस विचार से ही श्रीराम गदगद् हो उठे।
जय मां नीलेश्वरी काली जन्म दाती से जगत जननी तक
डस पृथ्वी पर धरा एक ऐसी शक्ति है जिसमें सभी बुद्धिजीवी प्राणी कृपा पाते हैं, जिसके रूप अनेक हैं, कोई किसी नाम से कोई किसी नाम से मां आदि शक्ति की पूजा करते हैं।
नौ कन्याओं का पूजन क्यों?
नवरात्र में कन्या पूजन का विशेष महत्त्व है। नौ कन्याओं को नौ देवियों के रूप में पूजन कर अपने सामर्थ्यनुसार दक्षिणा देकर भक्त माता रानी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
बिना कसरत के वजन कम करें, अपनाएं ये टिप्स
व्यायाम के बिना वज़न घटाने के इन चमत्कारी तरीक़ों पर गौर करें और बिना व्यायाम के अपना वज़न घटाने की शुरुआत करें।