दीया अर्थात् जिसने सदा दिया। दीये का संबंध मात्र मिट्टी के आवरण या किसी पात्र से नहीं है। दीया आशा का प्रतीक है, दीया नूतन चेतना एवं नवीन कार्य करने की प्रेरणा देता है। दीये की लौ हमें केवल रोशनी ही नहीं देती, बल्कि अंधकार से प्रकाश की ओर, नीचे से ऊपर की ओर उठने की प्रेरणा भी देती है। 'लौ' हमें अनुशासन सिखाती है, देने, बांटने और बुराई से लड़ने की सीख देती है। दीया स्वयं अंधेरे में रहकर दूसरों के घर-आंगन में प्रकाश करने का संदेश भी देता है। दीपावली दीपकों का त्योहार है। इस दिन दीपकों को विधिपूर्वक प्रज् नवलित करना या जलाना अति शुभ माना गया है। लक्ष्मी पूजन एवं आरती के बाद एक-एक छोटे दीपक मंदिर में घर के सामने चौराहे पर, नदी के किनारे या नल के पास, घर के प्रत्येक कमरे में, आंगन में, पीपल के पेड़ व तुलसी के पौधे के समीप और छत आदि जगहों पर अवश्य प्रज्जवलित करने चाहिए। इन दीपकों से घर में लक्ष्मी आती है। इसके अलावा विभिन्न प्रकार के पात्रों से बने दीपकों को जलाने से मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं। जैसे-
सोने का दीपक - सोने के बने दीपक को गेहूं के आसन पर रखकर इसे चारों ओर से लाल कमल या गुलाब के फूल से की पंखुड़ियों से सजाएं। इसमें गाय का शुद्ध घी डालकर पूर्व दिशा की ओर जलायें। इससे धन तथा बुद्धि में निरंतर वृद्धि होती रहेगी।
चांदी का दीपक - चांदी के बने दीपक को चावलों के आसन पर रखकर इसे चारों ओर से सफेद गुलाब या अन्य सफेद फूलों की पंखुड़ियों से सजाएं। इसमें गाय का शुद्ध घी डालकर पूर्व दिशा की ओर जलायें। इससे सात्विक धन की वृद्धि होगी।
तांबे का दीपक - तांबे के बने दीपक को लाल मसूर के आसन पर रखें, फिर इसे चारों ओर से लाल फूलों की पंखुड़ियों से सजाएं और तिल का तेल डालकर इसे दक्षिण दिशा में जलाने से मनोबल में वृद्धि तथा अनिष्टों का नाश होगा।
कांसे का दीपक - कांसे के बने दीपक को चने की दाल के आसन पर रखें व इसे चारों ओर से पीले फूलों की पंखुड़ियों से सजाकर इसमें तिल का तेल डालें और उत्तर दिशा में जलायें। इससे धन की स्थिरता बनी रहेगी।
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विदेशों में भी लोकप्रिय दीपावली
दीपावली के अवसर पर कश्मीर से कन्याकुमारी तक दीपों की जगमगाहट और पटाखों की गूंज होती है। लेकिन यह त्यौहार सरहद और सात समंदर पार भी उसी उत्साह और उमंग से मनाया जाता है। कहां और कैसे, जानें लेख से।
शक्ति आराधना के साढ़े तीन पीठ
महाराष्ट्र में कोल्हापुर, तुलजापुर, माहूर और नासिक इन स्थानों पर मां अंबे के साढ़े तीन पीठ हैं। ये सभी शक्ति पीठ जागृत धार्मिक स्थल के रूप में प्रसिद्ध हैं। इनके महत्त्व और आख्यायिकाओं के बारे में जानें इस लेख से।
बढ़ती आबादी बनी चुनौती
विश्व की जनसंख्या सात अरब से भी पार जा चुकी है। अगर अपने देश भारत की बात करें तो यह संख्या दुनिया की कुल आबादी का 17.78% है। भारत विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन चुका है।
दीपावली में रंग भरती रंगोली
रंगोली लोकजीवन का एक बहुत ही अभिन्न अंग है। देश के विभिन्न हिस्सों में रंगोली सजाने का अपना अलग-अलग स्वरूप है। दीपावली के मौके पर इसका महत्त्व और भी बढ़ जाता है।
धनतेरसः मान्यताएं और खरीदारी
कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को यानी धनवंतरि त्रयोदशी को धनतेरस के नाम से जाना जाता है। दीपावली से दो दिन पूर्व मनाया जाता है धनतेरस। इस दिन सोना-चांदी आदि खरीदना शुभ मानते हैं। धनतेरस के महत्त्व को जानें इस लेख से।
लक्ष्मी को प्रिय उल्लू, कौड़ी और कमल
हिन्दू धर्म में मां लक्ष्मी को धन और प्रतिष्ठा की देवी मानते हैं तो उनके वाहन उल्लू को भी भारतीय संस्कृति में धन-संपत्ति के प्रतीक के रूप में माना जाता है। इसके साथ ही कौड़ी और कमल का भी मां लक्ष्मी से गहरा नाता है।
सब दिन होत ना एक समाना
पुष्पक विमान में बैठ कर राम, सीता व लक्ष्मण अनेक तीर्थस्थलों का भ्रमण करने के पश्चात अयोध्या लौट रहे थे। चौदह वर्ष पश्चात अपनी मातृभूमि के दर्शन के इस विचार से ही श्रीराम गदगद् हो उठे।
जय मां नीलेश्वरी काली जन्म दाती से जगत जननी तक
डस पृथ्वी पर धरा एक ऐसी शक्ति है जिसमें सभी बुद्धिजीवी प्राणी कृपा पाते हैं, जिसके रूप अनेक हैं, कोई किसी नाम से कोई किसी नाम से मां आदि शक्ति की पूजा करते हैं।
नौ कन्याओं का पूजन क्यों?
नवरात्र में कन्या पूजन का विशेष महत्त्व है। नौ कन्याओं को नौ देवियों के रूप में पूजन कर अपने सामर्थ्यनुसार दक्षिणा देकर भक्त माता रानी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
बिना कसरत के वजन कम करें, अपनाएं ये टिप्स
व्यायाम के बिना वज़न घटाने के इन चमत्कारी तरीक़ों पर गौर करें और बिना व्यायाम के अपना वज़न घटाने की शुरुआत करें।